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पोरिस-प्पडिहा संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
६०१ पोरिस न [पौरुष] पुरुषत्व, पराक्रम। पोसण न [पोसन] अपान, गुदा । पोरिस वि [पौरुषेय] पुरुष-जन्य । | पोसय देखो पोस = पोस । पोरिसिमंडल न [पौरुषीमण्डल] एक जैन | पोसय देखो पोसग । शास्त्र।
पोसह पुं पोषध, पौषध] अष्टमी, चतुर्दशी पोरिसिय देखो पोरिसीय ।
आदि पर्वतिथि में जैन श्रावक का व्रत-विशेष, पोरिसी स्त्री [पौरुषी] पुरुष-शरीर प्रमाण आहार-आदि के त्यागवाला अनुष्ठान । अष्टमी, छाया । प्रथम प्रहर । प्रथम प्रहर तक भोजन | चतुर्दशी आदि पर्वतिथि । पडिमा स्त्री आदि का त्याग, प्रत्याख्यान-विशेष । [प्रतिमा] जैन श्रावक का अनुष्ठान-विशेष, पोरिसीय वि [पौरुषिक] पुरुष-प्रमाण । व्रत-विशेष । °वय न [व्रत] वही अर्थ । पोरुस पुं[पुरुष] अत्यन्त वृद्ध पुरुष ।
°साला स्त्री [°शाला] पौषध-व्रत करने का पोरुस देखो पोरिस।
स्थान । शैववास पुं [पवास] पर्वदिन में पोरेकच्च । न [पौरस्कृत्य] पुरस्कार, कला- उपवास-पूर्वक जैन श्रावक का अनुष्ठान, जैन पोरेगच्च । विशेष ।
श्रावक का ग्यारहवाँ व्रत । पोरेवच्चन [पौरोवृत्य] पुरोवर्तित्व, अग्रेसरता। पोसहिय वि [पौषधिक] पोषध-कर्ता । पोलंड सक [प्रोत - लघ] विशेष उल्लंघन पोसिअ वि [दे] दरिद्र, दुःखी। करना ।
पोसिअ वि [पुष्ट] पोषण-युक्त । पोलच्चा स्त्रो [दे] खेटित भूमि, कृष्ट जमोन । पोसिद (शौ) वि प्रोषित] प्रवास-विदेश में पोलास न. पोलासपुर । उद्यान-विशेष । | गया हुआ। भत्तुआ स्त्री [°भर्तृका] °पुर न. नगर-विशेष ।
जिसका पति प्रवास-परदेश में गया हो वह पोलासाढ न [पोलाषाढ] श्वेतविका नगरी का
स्त्री । एक चैत्य ।
पोसी देखो [पौषी] पौषमास की पूर्णिमा । पोलिअ पुं [दे] सौनिक, कसाई।
पौष मास की अमावस । पोलिआ स्त्री [दे. पौलिका] खाद्य-विशेष, | पोह पुं [दे] बैल आदि की विष्ठा का ढेर । पूरी।
पोह पुं[प्रोथ] अश्व के मुख का प्रान्त भाग । पोली देखो पओली।
पोहण पुं [दे] छोटी मछली। पोल्ल । वि [दे] पोला, खाली, रिक्त। पोहत्त न [पुथुत्व चौड़ाई । पोल्लड ।
पोहत्त देखो पुहत्त। पोल्लर न [दे] निर्विकृतिक तप ।
पोहत्तिय वि [पार्थक्त्विक] पृथक्त्व-सम्बन्धी। पोस अक [पुष] पुष्ट होना ।
पोहल देखो पोप्फल। पोस सक [पोषय्] पुष्ट करना। पालन "प्प देखो प =प्र। करना।
°प्पआस देखो पयास = प्रयास । पोस वि [पोष] पोषक, पुष्टि-कारक । पुं प्पउत्त देखो पउत्त = प्रवृत्त । पोषण, पुष्टि ।
°प्पच्चअ देखो पच्चय। पोस पुं. अपान-देश, गुदा । योनि । लिंग।। प्पडव (मा) अक [प्र+तप्] गरम होना । पोस पुं [पौष] पौष मास ।
प्पडिआर देखो पडिआर = प्रतिकार । पोसग वि [पोषक] पोषक, पालक । | °प्पडिहा देखो पडिहा = प्रतिभा ।
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