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पिंज-पिच्चा संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
५८१ पिंज सक [पिन्] पीजना, रूई का धुनना। पिंडलग न [दे] पटलक, पुष्प का भाजन । पिंजर पुं [पिञ्जर] पीत-रक्त वर्ण । वि. रक्त- पिंडवाइअ वि [पिण्डपातिक, पैण्डपातिक] पीत वर्णवाला।
भक्त-लाभवाला, जिसको भिक्षा में आहार पिंजर सक [पिञ्जरय] रक्त-मिश्रित पीतवर्ण- | की प्राप्ति हो वह। युक्त करना।
| पिंडार पुं [पिण्डार] गोप । पिंजरुड पुं [दे] भारुण्ड पक्षी ।
पिंडालु पुं [पिण्डालु] कन्द-विशेष । पिंजिअ वि [पिञ्जित] पीजा हुआ । पिंडि° देखो पिंडी। पिजिअ वि [दे] विधुत ।
पिडिम वि [पिण्डिम] पिण्ड से बना हुआ, पिंड सक [पिण्डय] एकत्रित करना, संश्लिष्ट बहल । पुद्गल-समूहरूप, संघाताकार । करना । अक. मिलना।
पिडिय वि [पिण्डित] एकत्रित । गुणित ।। पिंड पुं [पिण्ड] कठिन द्रव्यों का संश्लेष ।
पिंडिया स्त्री [पिण्डिका] पिंडली, जानू के
नीचे का अवयव । वर्तुलाकार वस्तु । संघात । गुड़ वगैरह की बनी हुई गोल वस्तु,
पिंडी स्त्री [पिण्डी] लुम्बी, गुच्छा। घर का वर्तुलाकार पदार्थ । भिक्षा में मिलता।
। आधारभूत काठ-विशेष, पीढ़ा । वर्तुलाकार आहार । देह का एक देश । देह । घर का
वस्तु, गोला । खजूर-विशेष । एक देश । अन्न का गोला जो पितरों के उद्देश
पिंडी स्त्री [दे] मञ्जरो। से दिया जाता है । गन्ध-द्रव्य, सिलक । जपा
पिंडीर न [दे. पिण्डीर] अनार । पुष्प । कवल । गज-कुम्भ । मदनक वृक्ष,
पिंडेसणा स्त्री [पिण्डैषणा] भिक्षा ग्रहण करने दमनक का पेड़ । न. आजीविका । लोहा । श्राद्ध । वि. संहत । निबिड़ । 'कप्पिअ वि
की रीति । [कल्पिक] सर्वथा निर्दोष भिक्षा लेनेवाला ।
पिंडेसिय वि [पिण्डैषिक] भिक्षा-गवेषक । गला स्त्री. गड-विशेष, इक्षरस का विकार- | पिंडोलगय । वि [पिण्डावलगक] भिक्षा से विशेष । °घर न [°गृह] कर्दम से बना हुआ | पिंडोलय , निर्वाह करनेवाला, भिक्षु । घर । त्थ पुं [°स्थ] जिन भगवान् की | पिंध (अप) सक [पि +धा] ढकना । अवस्था-विशेष । “त्थ पुं [°Tर्थ] समुदायार्थ । पिसुली स्त्री [दे मुंह से पवन भरकर बजाया °दाण न [°दान] पिण्ड देने की क्रिया, जाता एक प्रकार का तृण-वाद्य । श्राद्ध । °पयडि स्त्री [प्रकृति] अवान्तर | पिक पुंस्त्री. कोकिल पक्षी। भेदवाली प्रकृति । °वद्धण न [°वर्धन] | पिक्क देखो पक्क = पक्व । कवल-वृद्धि, अन्नप्राशन । °वद्धावण न पिक्ख सक [प्र + ईक्ष] देखना । [°वर्धन] आहार बढ़ाना । वाय पुं [°पात] पिक्खग वि [प्रेक्षक] निरीक्षक, द्रष्टा । भिक्षा-लाभ । वास पुं. सुहृज्जन । °विसुद्धि, | पिग देखो पिक । 'विसोहि स्त्री [°विशुद्धि] भिक्षा की | पिचु पुं [पिचु] रूई । °लया स्त्री [°लता] निर्दोषता ।
रूई की पूनी। पिंडण न [पिण्डन] द्रव्यों का एकत्र संश्लेष । पिचुमंद पुं [पिचुमन्द] नीम का पेड़ । ज्ञानावरणीयादि कर्म ।
| पिच्च ) अ [प्रेत्य] पर-लोक, आगामी जन्म । पिंडरय न [दे] दाडिम ।
पिच्चा देखो पेच्च । पिंडलइय वि [दे] पिण्डाकार किया हुआ। | पिच्चा पिअ = पा का संकृ. ।
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