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पस्स-पहाण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
५६७ पस्स सक [दृश्] देखना।
| पहरण न [प्रहरण] आयुध । प्रहार-क्रिया । पस्स (शौ) देखो पास = पार्श्व ।
पहराइया देखो पहाराइया । पस्सओहर वि [पश्यतोहर] देखते हुए चोरी | पहराय पुं [प्रभराज] भरतक्षेत्र का छठवां करनेवाला, सुनार, उचक्का ।
प्रतिवासुदेव। पस्सेय देखो पसे।
पहरिअ वि [प्रहृत] प्रहार करने के लिए पह वि [प्रह] नम्र । विनीत । आसक्त । उद्यत । जिस पर प्रहार किया गया हो वह । पह पुं [पथिन्] मार्ग । °देसय वि [ देशक] पहरिस पु [प्रहर्ष] आनन्द, खुशी । मार्ग-दर्शक ।
पहलादिद (शौ) [प्रह्लादित] आनन्दित । पहएल्ल पुं [दे] अपूप, पुआ, खाद्य-विशेष । पहल्ल अक [घूर्ण ] घूमना, फाँपना, डोलना । पहंकर देखो पभंकर ।
पहल्लिर वि [प्रपूर्णित] घूमनेवाला, डोलता । पहंकरा देखो पभंकरा।
पहव अक [प्र + भू]उत्पन्न होना । समर्थ होना। पहंजण पुं [प्रभञ्जन] वायु । देव-जाति-विशेष, पहव पुं [प्रभव उत्पत्ति-स्थान । भवनपति देवों की एक अवान्तर जाति । एक पहव देखो पहाव = प्रभाव । राजा।
पहव देखो पह = प्रत। पहकर [दे] देखो पहयर ।
पहव पुं [प्रभव] एक जैन महर्षि । पहट्ट वि [दे] दृप्त, उद्धत । थोड़े हो समय के पहस अक [ प्र+हस् ] हँसना । उपहास पूर्व देखा हुआ।
करना। पहट्ट वि [प्रहृष्ट] आनन्दित, हर्ष-प्राप्त । पहसण न [प्रहसन] उपहास, परिहास । पहण सक [प्र+हन्] मार डालना ।
नाटक का एक भेद, हास्य-रस प्रधान नाटक, पहण न [दे] कुल, वंश।
रूपक-विशेष । पहणि स्त्री देसामने आए हए का अटकाव । पहसिय वि [प्रहसित जो हंसने लगा हो । पहत्थ पुं [प्रहस्त] रावण का मामा ।
जिसका उपहास किया हो वह । न. हास्य । पहद वि [दे] सदा दृष्ट ।
प. पवनञ्जय का एक विद्याधर-मित्र । पहम्म सक [प्र + हम्म्] प्रकर्ष से गति |
पहा सक [प्र + हा] त्याग करना । अक. कम
होना, क्षीण होना। करना । पहम्म न दे देव-कण्ड । खात-जल, कण्ड । पहा स्त्री [प्रथा] रीति, व्यवहार। ख्याति, छिद्र ।
प्रसिद्धि । पहम्मत ) देखो पहण =प्र+हन् का | पहा स्त्री [प्रभा] कान्ति, तेज, आलोक, पहम्ममाण , कवकृ.।
दीप्ति । 'मंडल देखो भामंडल। °यर पुं पहय वि [प्रहत] घिसा हुआ। मार डाला |
[°कर] सूर्य। रामचन्द्र के भाई भरत के गया, निहत ।
साथ दीक्षा लेने वाला एक राजर्षि । °वई स्त्री पहयर पुं [दे] समूह ।
[°वती आठवें वासुदेव की पटरानी । पहर सक [प्र+ह] प्रहार करना ।
पहाड सक [प्र+ध्राटय् ] इधर-उधर पहर पुं [प्रहार] मार, प्रहार । जहाँ पर भमाना, घुमाना। प्रहार किया हो वह स्थान ।
पहाण वि [प्रधान] नायक, मुखिया, मुख्य । पहर पुं [प्रहर] तीन घंटे का समय।।
उत्तम, प्रशस्त, श्रेष्ठ, शोभन । स्त्रीन,
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