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________________ अणुणाय - अणुद्ध अणुणाय व [अनुज्ञात] अनुमत, अनुमोदित । अणुणास पुंन [ अनुनास] अनुनासिक । वि. अनुस्वारयुक्त । अणुणासि पुं [अनुनासिक ] देखो ऊपर का पहला अर्थ | संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष अणुणी सक [ अनु + नी] अनुनय करना । समझाना, दिलासा देना | [अ] का वकृ० । अणुण्यवि [ अनुन्नत] नीचा, नम्र । गर्वरहित । अणुण्णव सक [ अनु + ज्ञापय् ] अनुमति देना । आज्ञा देना । अणुत्थान देखो अणुद्वाण | अणुत्थाय वि [अनुत्साह ] हतोत्साह । अण्णवणी स्त्री [अनुज्ञापनी] अनुमति लेने अणुदत्त पुं [अनुदात्त ] नीचे से बोला जाने का वाक्य | वाला स्वर | अण्णा स्त्री [अनुज्ञा ] अनुमोदन । आज्ञा । पठन-विषयक गुरु आज्ञा- विशेष । सूत्र के अर्थ का अध्ययन । कप्प पुं [कल्प] जैन साधुओं के लिए वस्त्र पात्रादि लेने के विषय में शास्त्रीय विधान | वह | अणुतड पुं [अनुतट] भेद, पदार्थों का एक जाति का पृथक्करण; जैसे संतप्त लोहे को हथौड़े से पीटने से स्फुलिंग (चिनगारी ) पृथक् होते हैं । अणुतडिया स्त्री [अनुतटिका ] ऊपर देखो । तलाव, द्रह आदि का भेद । ३९ पूर्ण शरीरवाला | अणुत्तर वि [अनुत्तर] सर्वश्रेष्ठ । एक सर्वोत्तम देवलोक का नाम । छोटा । 'ग्गा स्त्री [ग्रया] एक पृथिवी, जहाँ मुक्त जीवों का निवास है । णाणि वि ['ज्ञानिन् ] केवलज्ञानी । विमाण न [विमान] एक सर्वोत्कृष्ट देवलोक । ववाइय वि [पपाfre] अनुत्तर देवलोक में उत्पन्न । विवा - इयदसा स्त्री. ब. [ पपातिकदशा] नवव जैन अंगग्रंथ | O अण्णाय वि [ अनुज्ञात] जिसको आज्ञा दी अणुदिअस न [ अनुदिवस ] प्रतिदिन । गई हो वह । अनुमत, अनुमोदित । अणुहवि [अनुष्ण] ठंडा, जो गरम नहीं है अणुदिज्जत वि [ अनुदीयमान ] उदय में न आता हुआ । अदि न [ अनुदिन ] हमेशा । अणुदिण्ण वि [अनुदित ] उदय को प्राप्त । फल- दान में अतत्पर । अणुत्तवि [अनुक्त] अकथित । अणुत्तंत देखो अणुवत्त । अणुत्तप्प वि [ अनुत्त्रप्य] परिपूर्ण शरीर । Jain Education International अणुदय पुं [अनुदय] उदय का अभाव । कर्मफल के अनुभव का अभाव । अणुदवि न [दें] सुबह । अणुदिअ वि [अनुदित] जिसका उदय न हुआ हो । अणुतप्प अक [अनु + तप्] पछताना | अणुतावक [अनु + तापय् ] तपाना । अताव [ अनुताप ] पश्चात्ताप । अणुदिय वि [अनुदित ] उदय को अप्राप्त । अहि न [ अनुदिवस ] प्रतिदिन | अणुदिव न [दे] प्रातःकाल | अणुतावयवि [अनुतापक] पश्चात्ताप कराने | अणुदिसा स्त्री [ अनुदिक् ] विदिक्, वाला । ईशान कोण आदि विदिशा । अणि वि [अनुदीरित] जिसकी उदीरणा दूर भविष्य में हो । जिसकी उदीरणा भविष्य में न हो । अणुद्दिवि [अनुद्दिष्ट] जिसका उद्देश्य न किया गया हो वह । अणुद्ध व [ अनूर्ध्व ] नीचा । वि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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