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________________ ४७७ देवकिबिसिया-देसय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष देवकिब्बिसिया स्त्री [ दैवकिल्बिषिकी ] | ज्योतिष शास्त्र को जाननेवाला । भावना-विशेष जो अधम देव-योनि में उत्पत्ति | देव्वजाणुअ । देखो देव्व-ज्ज । का कारण है। देवण्णुअ । देवकी देखो देवइ । °णंदण पुं [नन्दन] देस पुं [देश] एक सौ हाथ परिमित जमीन । श्रीकृष्ण । °देस पुं [°देश] सौ हाथ से कम जमीन । देवय वि [दैव्य] देव-सम्बन्धी । राग पुं. देश-विशेष । देवय न [दैवत] देव, देवता । देस सक [देशय] कहना, उपदेश देना । देवय देखो देव = देव । बतलाना। देवया स्त्री [देवता] देव, अमर । परमात्मा । देस पुं [देश] अंश, भाग । देश, जनपद । देवर देखो दिअर। अवसर । स्थान । °कहा स्त्री [कथा] देवराणी देखो देअराणी। जनपद-वार्ता । "काल देखो °याल । °जइ देवसिअ वि [दैवसिक] दिवस-सम्बन्धी ।। पुं [°यति] श्रावक, उपासक, जैन गृहस्थ । देवसिआ स्त्री [देवसिका] एक पतिव्रता स्त्री | ण्णु वि [°ज्ञ] देश की स्थिति को जाननेजिसका दूसरा नाम देवसेना था। वाला। °भासा स्त्री [ भाषा] देश की देविंद पुं [देवेन्द्र] इन्द्र । एक प्रसिद्ध जैनाचार्य बोली । भूसण पुं [भूषण] एक केवलज्ञानी और ग्रन्थकार । 'सूरि पुं. एक प्रसिद्ध जैना- महर्षि । °याल पुं [°काल] प्रसंग, योग्य चार्य और ग्रन्थकार । समय । प्राय वि [°राज] देश का राजा। देविंदय पुं[देवेन्द्रक] देवविमान-विशेष ।। °वगासिय देखो वगासिय । विरइ स्त्री देविड्ढि स्त्री [देवद्धि] देव का वैभव । पुं.एक [विरति] श्रावक धर्म, जैन गृहस्थ का व्रत, सुप्रसिद्ध जैन आचार्य और ग्रन्थकार । अणुव्रत, हिंसा आदि का आंशिक त्याग । देविय वि [दैविक] देव-सम्बन्धी। °विरय वि [°विरत] श्रावक, उपासक । देविल पुं. एक प्राचीन ऋषि । न. पांचवां गुण-स्थानक । विराहय वि देवी स्त्री. देव-स्त्री। राज-पत्नी। दुर्गा, | [विराधक] व्रत आदि में आंशिक दूषण पार्वती । सातवें चक्रवर्ती और अठारहवें जिन लगानेवाला। विराहि वि [विराधिन्] देव की माता । दशवें चक्रवर्ती की अग्र वही अर्थ । विगास न [Tवकाश] श्रावक महिषी । एक विद्याधर कन्या । का एक व्रत । विगासिय न [°वकाशिक] देवीकय वि [देवोकृत] देवी से बनाया हुआ। वही अर्थ । हिव पुं [°ाधिप] राजा। देवुक्कलिआ स्त्री [देवोत्कलिका] देवों की | °हिवइ पुं [°ाधिपति] राजा । भीड़। देश देखो वेस = द्वेष । देवेसर पुं [देवेश्वर] इन्द्र । देसंतरिअ वि [देशान्तरिक] भिन्न देश का, देवोद पुं. समुद्र-विशेष । विदेशी। देवोववाय पुं [देवोपपात] भरतक्षेत्र में | देसग देखो देसय । आगामी उत्सर्पिणी काल में होनेवाले तेईसवें | देसण न [देशन] कथन, उपदेश, प्ररूपण । वि. जिन देव । उपदेशक, प्ररूपक । देव्व देखो दिव्य = दिव्य । देसणा स्त्री [देशना] उपदेश, प्ररूपण । देव्व देखो दइव । न, °ण, °ाणु वि [ज्ञ] | देसय वि [देशक] उपदेशक, प्ररूपक । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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