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दीविआ-दुअक्खर संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
४६१ विशेष । व्याध की हरिणी जो दूसरे हरिणों । काल । प्राय पुं[राज] एक राजा । लोग के आकर्षण करने के लिए रखी जाती है। | पुं [°लोक] वनस्पति का जीव । °लोगसत्थ व्याध-सम्बन्धी पिंजड़े में रखा हुआ तितिर | न [°लोकशस्त्र] अग्नि । °वेयड्ढ पुं पक्षी ।
[°वैताठ्य] स्वनाम-ख्यात पर्वत । "सुत्त न दीविआ स्त्री [दीपिका] लघु प्रदीप । [सूत्र] बड़ा सूता। आलस्य । सेण पुं दीविच्चग वि [द्वैप्य] द्वीप में पैदा हुआ। [°सेन] अनुत्तर-देवलोक-गामी मुनि-विशेष । दीवी (अप) देखो देवी।
इस अवसर्पिणी काल में उत्पन्न ऐरवत क्षेत्र के दीवी स्त्री [दीपिका] छोटा दिया।
आठवें जिन-देव । उ, °ाउय वि [°आयुष्, दीवूसव पुं [दीपोत्सव कार्तिक वदी अमावस, आयुष्क] लम्बी उम्रवाला, चिरंजीवी । दीपावली।
सण न [सन] शय्या । दीह वि [दीर्घ] लम्बा। पुं. दो मात्रावाला
दीह देखो दिअह। स्वर । कोशल देश का एक राजा । °काय
दीहंध वि [दिवसान्ध] दिन को देखने में अग्निकाय । कालिगी स्त्री ['कालिकी]
असमर्थ । संज्ञा-विशेष, बुद्धि-विशेष जिससे सुदीर्घ भूत- |
दीहजीह पुं [दे] शंख। काल की बातों का स्मरण और सुदीर्घ भविष्य |
दीहपिट्ठ देखो दीह-पट्ट। का विचार किया जा सकता है। कालिय | दीहर देखो दीह = दीर्घ । °च्छ वि क्ष ]
मासिकाकारमा जना| लम्बी आँखवाला। दीर्घकाल-सम्बन्धी। "जत्ता स्त्री [यात्रा] दोहरिय वि [दीधित] लम्बा किया हुआ। लम्बा सफर । मौत । °डक्क वि [°दष्ट] | दाहिया स्त्री [दोघिका] वापी, जलाशयजिसको साँप ने काटा हो वह । °णिद्दा स्त्री
विशेष । [°निद्रा] मरण । दंत पुं [°दन्त] भारत | दीहीकर सक [दी/ + कृ] लम्बा करना। वर्ष का एक भावी चक्रवर्ती राजा। एक | दु देखा तु । जैनमुनि । दंसि वि [दर्शिन] दूरदर्शी, | दु देखो दव = द्रु।। दूरन्देशी। °दसा स्त्री. ब. [दशा] जैन | दु वि. ब. [द्वि] दो, संख्या-विशेषवाला। ग्रन्थ-विशेष । दिट्ठि वि [दृष्टि] दूरदर्शी, | दु ' [] वृक्ष । सत्ता, सामान्य । दूरन्देशी। स्त्री. दीर्घ-दर्शिता। पट पं | द अ [द्विस्! दो दफा । [पृष्ठ] साँप । यवराज का एक मन्त्री । | दु अ [दुर्] इन अर्थों का सूचक अव्यय°पास पुं [°पार्श्व] ऐरवत क्षेत्र के सोलहवें | अभाव । दुष्टता, खराबी । मुश्किल । निन्दा । भावी जिनदेव । पेहि वि [°प्रेक्षिन्] दूर- | दुअ न [द्रुत] अभिनय-विशेष । वि. पीड़ित, दर्शी । 'बाहु पु. भरत क्षेत्र में होनेवाला हैरान किया हुआ। वेग-युक्त । "विलंबिअ तीसरा वासुदेव । भगवान् चन्द्रप्रभ का पूर्व | न [विलम्बित] छन्द-विशेष । अभिनयजन्मीय नाम । भद्द पुं [°भद्र ] एक जैन | विशेष । मुनि । °मद्ध वि [ध्वि] लम्बा रास्तावाला । दुअ न [द्विक] युग्म ।
मद्ध वि [T] दीर्घकाल से गम्य । °माउ दुअक्खर पुं [दे] नपुंसक । न [आयुष्] लम्बा आयुष्य । प्रत्त, राय पुन दुअक्खर वि [द्वयक्षर] अज्ञान, मूर्ख, अल्पज्ञ । ["रात्र] लम्बी रात । बहु रात्रिवाला, चिर- | पुस्त्री. दास, नौकर ।
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