________________
दव्व-दसा
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
४५३
दव्व देखो दविअ = द्रव्य । धन । भूत या का लगातार उपवास । °मभत्तिय वि [°मभभविष्य पदार्थ का कारण । गौण । बाह्य, क्तिक] चार दिनों का लगातार उपवास अतथ्य । °ट्ठिय पुं [आर्थिक, °स्थित, करनेवाला । °मासिअ वि [°माषिक] दस "आस्तिक] द्रव्य को ही प्रधान माननेवाला मासे की तौलवाला, दस मासे का परिमाणपक्ष, नय-विशेष । लिंग न [ लिङ्ग] बाह्य वाला । °मी स्त्री. दसवीं । तिथि-विशेष । वेष । लिंगि वि [लिङ्गिन्] भेषधारी | °मुद्दियाणंतग न [°मुद्रिकानन्तक] हाथ साधु । 'लेस्सा स्त्री [°लेश्या] शरीर आदि | की उँगलियों को दस अंगूठियाँ । °मुह पुं पौद्गलिक वस्तु का रंग, रूप। °वेय पुं [°मुख] रावण, राक्षस-पति । °मुहसुअ पुं [ वेद] पुरुष आदि का बाह्य आकार । [°मुखसुत] रावण का पुत्र, मेघनाद आदि । "ायरिय पुं. [°ाचार्य] अप्रधान आचार्य, °य देखो °ग । रत्त न [°रात्र] दस रात । आचार्य के गुणों से रहित आचार्य ।
रह पुं[°रथ] रामचन्द्रजी के पिता का दव्व न [द्रव्य] योग्यता।
नाम । अतीत उत्सर्पिणी-काल में उत्पन्न एक दव्वहलिया स्त्री [द्रव्यहलिका] वनस्पति- कुलकर पुरुष । रहसुय पुं[°रथसुत] राजा विशेष ।
दशरथ के पुत्र-राम, लक्ष्मण, भरत और दव्वि देखो दव्यो।
शत्रुघ्न । °वअण पुं [°वदन] राजा रावण । ददिवदिअ न [द्रव्येन्द्रिय] स्थूल इन्द्रिय । °वल देखो °बल। "विह वि [विध] दस दव्वी स्त्री [दर्वी] की, कलछी, चमची,
प्रकार का। "वेआलिअ न [वैकालिक] डोई । साँप का फन । °अर, कर पुं [कर]
जैन आगम-ग्रन्थ-विशेष । 'हा अ [°धा] दस
प्रकार से । आणण ' [°नन] राक्षसेश्वर दव्वी स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष ।
रावण । °ाहिया स्त्री [°ाहिका] पुत्र-जन्म दस त्रि. ब. [ दशन् ] दस की संख्या ।
के उपलक्ष्य में किया जाता दस दिनों का
एक उत्सव । °उर न [°पुर ] नगर-विशेष । °कंठ | पुं [°कण्ठ] रावण, एक लंका-पति । °कंधर |
दसग वि [दशक] दस वर्ष की उम्र का । पुं[ कन्धर] राजा रावण । कालियन | दसण पुं [दशन] दाँत । न. दंश, काटना । [कालिक] एक जैन आगम-ग्रन्थ । ग न | ‘च्छय पुं [°च्छद] होठ । [क] दश का समह । 'गुण वि. दसगुना । | दसण्ण पुं [दशार्ण] देश-विशेष । कूड न °गुणिअ वि [°गुणित] दस-गुना । °ग्गीव पुं| [°कूट] शिखर-विशेष । पुर न. नगर-विशेष। [°ग्रीव रावण । दसमिया स्त्री[°दशमिका] भद्द पुं [भद्र] दशार्णपुर का एक विख्यात
जैनसाधु का एक धार्मिक अनुष्ठान, प्रतिमा- राजा जी अद्वितीय आडम्बर से भगवान् विशेष । °दिवसिय वि ['दिवसिक] दस | __ महावीर को वन्दन करने गया था और जिसने दिन का। "द्ध पुंन ["पर्ध] पाँच । धणु पं भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी। [°धनुष्] ऐरवत क्षेत्र के एक भावी कुलकर | "वइ पुं [°पति दशार्ण देश का राजा। पुरुष । “पएसिय वि [ प्रादेशिक] दस अव- | दसतीण न दे] धान्य-विशेष । यववाला। °पुर देखो "उर। पुव्वि विदसा स्त्री [दशा] स्थिति। सौ वर्ष के प्राणी [°पूर्विन] दस पूर्व-ग्रन्थों का अभ्यासी । °बल | की दस-दस वर्ष की अवस्था । सूत या ऊन पुं. भगवान् बुद्ध । म वि. दसवाँ । चार दिनों का छोटा और पतला धागा। जैन आगम
सर्प।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org