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________________ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष तेज-तेगिच्छग संझ न [सन्ध्य] प्रातः, मध्याह्न और । तेआलि पुं [दे] वृक्ष-विशेष । सायंकाल का समय । °सट्ठि स्त्री [°षष्टि] तेइच्छ न [चैकित्स्य] चिकित्सा-कर्म, प्रतीदेखो °वट्रि। सीइ स्त्री[ अशीति]तिरासी। कार । सीइम वि ['अशीत] तिरासीवाँ । तेइच्छा स्त्रो[चिकित्सा]प्रतीकार, इलाज, दवा । तेअ सक [तेजय] तेज करना, पैनाना, धार तेइच्छिय देखो तेगिच्छिय । तेज करना, तीक्ष्ण करना । तेइच्छी स्त्री [चिकित्सा, चैकित्सी] प्रतीकार, तेअ देखो तइअ = तृतीय । इलाज । तेअ पुं [तेजस्] कान्ति, प्रकाश । ताप, अभि- तेइज्जग वि [तार्तीयीक] तोसरा । जाड़ा ताप । प्रताप । माहात्म्य, प्रभाव । बल, | देकर तीसरे-तीसरे दिन पर आनेवाला ज्वर, पराक्रम । °मंत वि [विन्] प्रभा-युक्त। तिजारा। °वीरिय पुं [°वीर्य भरत चक्रवर्ती के प्रपौत्र । तेइल्ल देखो तेअंसि । का पौत्र । तेउ पुं [तेजस्] अग्नि । तेजो-लेश्या । अग्नितेअ न [स्तेय] चोरी। शिख नामक इन्द्र का एक लोकपाल । ताप, तेअ देखो तेअय। अभिताप । प्रकाश, उद्योद । °आय देखो तेअ ' [?] टेक, स्तम्भ । °काय । कंत पुं [°कान्त] लोकपाल देवतेअंसि वि तेजस्विन्] तेज-युक्त। विशेष । °काइय पुं [कायिक] अग्नि का तेअग देखो तेअय। जीव । °काय पुं. अग्नि का जीव । °क्काइय तेअण न [तेजन] तेज करना । उत्तेजन । वि. देखो °काइय । 'प्पभ पुं[प्रभ] अग्निशिख उत्तेजित करनेवाला। नामक इन्द्र का एक लोकपाल । 'प्फास पुं तेअय न [तैजस] शरीर-सहचारी सूक्ष्म शरीर [°स्पर्श] उष्ण-स्पर्श । °लेस वि [°लेश्य] विशेष । तेजो-लेश्यावाला । °लेसा स्त्री [°लेश्या] तेअलि पुं [तेतलिन्] मनुष्य जाति-विशेष । तप-विशेष के प्रभाव से होनेवाली शक्तिएक मन्त्री के पिता का नाम । °पुत्त पुं विशेष से उत्पन्न होती तेज को ज्वाला। [°पुत्र] राजा कनकरथ का एक मन्त्री । °पुर °लेस्स देखो °लेस । °लेस्सा देखो °लेसा। न. नगर-विशेष । °सुय पु [°सुत] देखो °सिंह पुं [शिख] एक लोकपाल । °सोय न - "पुत्त । देखो तेतलि। [°शौच] भस्म आदि से किया जाता शौच । तेअव अक [प्र + दीप्] दीपना, चमकना। तेउ देखो तेअय । जलना। तेंडुअ न [दे] टीबरू का पेड़ । तेअवाल देखो तेजपाल । तेअविय वि [तेजित] तेज किया हुआ। तेंदुअ [तिन्दुक] तेंदु का पेड़ । कन्दुक । तेअस्सि पुं [तेजस्विन्] इक्ष्वाकु वंश के एक | तेंदुग राजा का नाम । तेंदुसय पुं [दे] गेंद । तेआ स्त्री [तेजा] पक्ष की तेरहवीं रात ।। तेंबरु पुं [दे] क्षुद्र कीट-विशेष, त्रीन्द्रिय जन्तु तेआ स्त्री [तेजस्] त्रयोदशी तिथि । की एक जाति । तेआ स्त्री [त्रेता] दूसरा युग । तेगिच्छ देखो तेइच्छ। तेआ° देखो तेअय। तेगिच्छग वि [चिकित्सक चिकित्सा करने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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