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________________ तक्कलि-तडफडिअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष तक्कलि स्त्री [दे] कदली-वृक्ष । तच्छ ) वि [तष्ट] छिला हुआ, तनूकृत । तक्कलि , स्त्री [दे] वलयाकार वृक्ष-विशेष । तच्छिअ । तक्कली । तच्छिड वि [दे] भयंकर । तक्का स्त्री [तक] देखो त - तर्क । तच्छिल वि [दे] तत्पर । तक्काल क्रिवि [तत्काल] उसी समय । तजा देखो तया = त्वच । तक्किम वि [ताकिक] तर्कशास्त्र का जानकार। | | तज्ज सक [तर्जय] तर्जन करना, भर्त्सन तक्कियाणं देखो तक्क = तर्क का संकृ.। करना । तक्कू तक चरखा । तज्जणी स्त्री [तर्जनी] अँगूठे के पासवाली तक्कुय पुंदे] स्वजन-वर्ग। अंगुली, प्रदेशिनी। तक्ख सक [तक्ष्] छिलना, काटना। तज्जाय वि [तज्जात] समान जातिवाला। तक्ख पुं [ताय] गरुड़ पक्षी। तज्जाविअ । वि [जित] तजित, भत्सित । तक्ख [तक्षन] बढ़ई । विश्वकर्मा । °सिला | तज्जिअ स्त्री [°शिला] प्राचीन ऐतिहासिक नगर । | तट्टवट्ट न [दे] आभूषण । तक्खग पुं [तक्षक] ऊपर देखो। स्वनाम- | तट्टिगा स्त्री [दे. तट्टिका] दिगम्बर जैन साधु प्रसिद्ध सर्प-राज। का एक उपकरण । तक्खण न [तत्क्षण] उसी समय । क्रिवि. तट्टी स्त्री [दे] वृति, बाड़। शीघ्र । तट्ठ वि [त्रस्त] डरा हुआ, भीत । न. मुहूर्ततक्खय देखो तक्खग। विशेष । तक्खाण देखो तक्ख = तक्षन् । तट्ठ वि [तष्ट] छिला हुआ। तगर देखो टगर। तट्ठव न [त्रस्तप] मुहूर्त-विशेष । तगरा स्त्री. संनिवेश-विशेष । एक नगरी का | कृशतावाला। नाम । तट्ठि । पुं [त्वष्ट्र] तक्षक, विश्वकर्मा । नक्षत्रतग्ग न [दे] धागे का कंकण । तठु । विशेष का अधिष्ठायक देव । तग्गंधिय वि [तद्गन्धिक] उसके समान तठ्ठ पुं [त्वष्ट] अहोरात्र का बारहवाँ मुहूर्त । गन्धवाला। तड सक [तन्] विस्तार करना । करना। तच्च वि [तृतीय] तीसरा। तड पुंन [तट] किनारा । त्थ वि ["स्थ] तच्च न [तत्त्व] सार, परमार्थ । वाय | मध्यस्थ, पक्षपात-हीन । समीप । स्थित । [°वाद] तत्त्व-वाद, परमार्थ-चर्चा । दृष्टिवाद, | तडउडा [दे] देखो तडवडा। जैन अंग-ग्रंथ-विशेष । तडकडिअ वि [दे] अनवस्थित । तच्च न[तथ्य] सत्य, सचाई । वि. वास्तविक । | तडक्कार पुं [तटत्कार] चमकारा । त्थ पुं [°ार्थ] हकीकत । °वाय पुं[°वाद] तडतडा अक [ तडतडायू ] तड़-तड़ आवाज देखो ऊपर वाय। होना। तच्चं अ [त्रिः] तीन बार । तडतडा स्त्री [तडतडा] तड़-तड़ आवाज । तच्चित्त वि [तच्चित्त] उसी में जिसका मन । तडप्फड ) अक [दे] छटपटाना, तड़फड़ाना, लगा हो वह, तल्लीन । तडफड व्याकुल होना। तच्छ सक [तक्ष्] छिलना, काटना । तडफडिअ वि [दे] सब तरफ से चलित, तड़ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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