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४१६ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
वाल-हव णेवाल पुं [नेपाल] एक भारतीय देश । वि.. रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, पुंवेद, नेपाल-देशीय, नेपाली।
स्त्रीवेद और नपुंसकवेद । केवलनाण न विज्ज । न [नैवेद्य] देवता के आगे धरा | [°केवलज्ञान] अवधि और मनःपर्यव ज्ञान । णेवेज्ज , हुआ अन्न आदि ।
गार पुं [ कार] 'नो' शब्द । 'गुण वि. णेव्वाण देखो णिव्वाण = निर्वाण । अवास्तविक । °जीव पुं. जीव और अजीव से णेव्वुअ देखो णिव्वुअ।
भिन्न पदार्थ, अवस्तु । अजीव, निर्जीव । णेव्वुइ देखो णिव्वुइ ।
जीव का प्रदेश । °तह वि [°तथ] जो वैसा णेसग्गिय देखो णिसग्गिय ।
ही न हो। णेसज्जि वि [नैषधिन्] आसन-विशेष से | णो अ [दे] इन अर्थों का सूचक अव्यय-खेद । उपविष्ट ।
आमन्त्रण । विचित्रता । वितर्क । प्रकोप । णेसज्जिअ वि [नैषधिक] ऊपर देखो। णो° पुं [न] पुरुष । णेसत्थि पुं [दे] वणिग् मन्त्री।
णोक्ख वि [दे] अनोखा, अपूर्व । णेसत्थिया । स्त्री [नैसृष्टिकी, नैशस्त्रिकी] | णोगोण्ण वि [नोगौण] अयथार्थ (नाम)। सत्थी । निसर्जन, निक्षेपण। निसर्जन | णोजुग न [नोयुग] न्यून युग । से होनेवाला कर्म-बन्ध ।
णोदिअ देखो णोल्लिअ । सप्प पुं [नैसर्प] निधि-विशेष, चक्रवर्ती राजा |
णोमल्लिआ स्त्री [नवमल्लिका] सुगन्धि वाला का एक देवाधिष्ठित निधान ।
वृक्ष-विशेष, नेवारी, वासन्ती (फूल)। णेसर पुंदे] सूर्य।
णोमालिआ स्त्री [नवमालिका] ऊपर देखो। णेसाय देखो णिसाय = निषाद ।
णोमि पुं [दे] रज्जु । णेसु पुंन. [दे] होंठ । पाँव ।
णोलइआ । स्त्री [दे] चोंच । णेह पुं [स्नेह] राग, अनुराग । तैल आदि णोलच्छा ) चिकना रस-पदार्थ । चिकनाई।।
णोल्ल सक [क्षिप् ,नुद्] फेंकना । प्रेरणा णेहर देखो णेहुर।
करना। णेहल पुं [स्नेहल] छन्द-विशेष । वि. स्नेही, । णोव्व पं दे] आयुक्त, सबा या सबेदार राजस्नेह-युक्त ।
प्रतिनिधि । णेहालु वि [स्नेहवत्] स्नेह-युक्त, स्निग्ध । णोहल पुं[लोहल] अव्यक्त शब्द-विशेष । णेहुर पुं [नेहुर] एक अनार्य देश । उसमें |
णोहलिआ स्त्री [नवफलिका] नवोत्पन्न वसनेवाली अनार्य जाति ।
फली। नूतन फलवाली। नूतन फल का णो अ [नो] इन अर्थों का सूचक अव्यय - उद्गम । निषेध, अभाव । मिश्रण । देश, भाग, अंश। णोहा स्त्री [स्नुषा] पुत्रवधू । निश्चय । आगम पुं. आगम का अभाव । | °ण्णअ वि [ज्ञक] जानकार । आगम के साथ मिश्रण । आगम का एक । | °ण्णास देखो णास = न्यास । अंश । पदार्थ का अपरिज्ञान । °इंदिय न | °ण्णुअ देखो °ण्णअ । [°इन्द्रिय] मन, अन्तःकरण, चित्त । | ण्हं अ. वाक्यालंकार और पादपूर्ति में प्रयुक्त °कसाय पुं [°कषाय] कषाय के उद्दीपक | किया जाता अव्यय । हास्य वगैरह नव पदार्थ, वे ये हैं-हास्य, | ण्हव सक [स्नपय] स्नान कराना ।
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