________________
४०८
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णिसह-णिसुंभ णिसह देखो णिसढ।
णिसिक्क सक [नि + सिच्] प्रक्षेप करना, णिसह देखो णिस्सह।
डालना। णिसह सक [नि + सह ] महन करना। णिसिज्जा देखो णिसज्जा । उपाश्रय, साधुओं णिसा स्त्री [निशा] अन्धकारवाली नरक- का स्थान ।
भूमि । रात्रि । पीसने का पत्थर, शिलौट, ! णिसिट्ठ वि [निसृष्ट] बाहर निकाला हुआ । सिलवट । °अर [°कर] चन्द्र । °अर पुं दत्त, प्रदत्त । अनुज्ञात । बनाया हुआ। [चर] राक्षस | °अरेंद पुं [°चरेन्द्र] | णिसिद्ध वि [निषिद्ध] प्रतिषिद्ध, निवारित । राक्षसों का नायक । 'नाह पुं [नाथ] | णिसिय वि [न्यस्त] स्थापित । चन्द्रमा । लोढ न [°लोष्ट] शिला-पुत्रक, णिसियण न [निषदन] उपवेशन । पीसने का पत्थर, लोढ़ा । °वइ पुं [पति] णिसिर सक [नि + सृज्] बाहर निकालना । चन्द्रमा । देखो णिसि।
देना, त्याग करना । करना । णिसाण सक [नि+शाणय] शान पर णिसीअ अक [नि+षद्] बैठना । चढ़ाना । तीक्ष्ण करना ।
णिसीआवण न [निषादन] बैठाना । णिसाण न [निशाण] शान, एक प्रकार का
णिसीढ देखो णिसीह = निशीथ । पत्थर, जिस पर हथियार तेज किया जाता है।
णिसीदण [निषदन] उपवेशन, बैठाना । णिसाम देखो णिसम।
णिसीह पुन [निशीथ] मध्य रात्रि । प्रकाश णिसाम वि [निःश्याम] निर्मल ।
का अभाव । न. जैन आगम-ग्रन्थ-विशेष । णिसामण देखो णिसमण ।
णिसीह पुं [नृसिंह] श्रेष्ठ मनुष्य । णिसामिअ वि [दे. निशमित] श्रुत । उप
णिसीहिअ वि [नैशीथिक] निज के लिए शमित, दबाया हुआ। सिमटाया हुआ,
___ लाया गया है ऐसा नहीं जाना हुआ भोजनादि संकोचित ।
पदार्थ। णिसाय वि [दे] प्रसुप्त ।
णिसीहिआ स्त्री [नषेधिकी] शव-परिष्ठापनणिसाय वि [निशात] शान दिया हआ. भूमि, श्मशान-भूमि । बैठने की जगह । तीक्ष्ण ।
णिसीहिआ स्त्री [निशीथिका] स्वाध्यायणिसाय पुं [निषाद] चाण्डाल, एक प्राचीन भूमि । थोड़े समय के लिए उपात्त स्थान । जाति । स्वर-विशेष ।
__ आचाराङ्ग सूत्र का एक अध्ययन । णिसायंत वि [निशातान्त] तीक्ष्ण धारवाला। णिसीहिआ स्त्री नेषेधिकी] स्वाध्याय भूमि । णिसास सक [निर् + श्वासय] निःश्वास पाप-क्रिया का त्याग । व्यापारान्तर के निषेध डालना।
रूप आचार । देखो णिसेहिया। णिसास देखो णीसास।
णिसीहिणी स्त्री [निशीथिनी] रात्रि । °नाह णिसि देखो णिसा । पालअ पुं [पालक]। पुं[नाथ] चन्द्रमा । छन्द-विशेष । °भत न [°भक्त] रात्रि-भोजन। णिसुअ वि [दे. निश्रुत] श्रुत, आकणित ।
भुत्त न [°भुक्त] रात्रि-भोजन । णिसुंद पुं [निसुन्द] रावण का एक सुभट । णिसिअ देखो णिसी।
णिसंभ सक [नि + शुम्भ] मार डालना, णिसिअ वि [निशित] शान दिया हुआ, व्यापादन करना । तीक्ष्ण ।
| णिसुंभ पुं [ निशुम्भ ] एक राजा । एक
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org