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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णिब्विइगिच्छ-णिव्वुड्ड णिव्विइगिच्छ न [निर्विचिकित्स्य] फलप्राप्ति । णिविराम वि [निविराम] विराम-रहित । में सन्देह का अभाव ।
| णिव्विलंब क्रिवि [निविलम्ब] शीघ्र । णिव्विइगिच्छा स्त्री [निर्विचिकित्सा] फल णिव्विवेअ वि [निविवेक] विवेक शून्य । प्राप्ति में शंका का अभाव ।
णिव्विस सक [निर् + विश्] त्याग करना । णिव्विद सक [निर् + विन्द्] अच्छी तरह | उपभोग करना। विचारना।
णिव्विस वि [निविष] विष-रहित । णिव्विद सक [निर् + विद्] घृणा करना। णिव्विसंक वि [निर्विशङ्क] शंका-रहित, णिव्विकप्प ) वि [निर्विकल्प] सन्देह- | निर्भय । णिव्विगप्प रहित । भेद-रहित । णिव्विसमाण न [निर्विशमान चारित्रणिव्विगइय देखो णिव्विइय ।
विशेष । वि. उस चारित्र को पालनेवाला । णिव्विगप्पग न [निर्विकल्पक] बौद्ध-प्रसिद्ध कप्पट्टिइ स्त्री ['कल्पस्थिति] चारित्र. प्रत्यक्ष ज्ञान-विशेष ।
विशेष की मर्यादा। णिव्विग्गिअ देखो णिव्विइअ ।
णिव्विसय वि [निर्वेशक] उपभोग-कर्ता । णिव्विग्घ वि [निर्विघ्न] विघ्न-रहित, बाधा-णिव्विसय वि [निविषय] विषयों की अभिवर्जित ।
लाषा से रहित । निरर्थक । जिसको देशणिविचित वि [निर्विचिन्त] निश्चिन्त । ।
निकाले की सजा हुई हो वह । णिविज्ज अक [निर् + विद्] निर्वेद पाना, णिन्विसिट्र वि [निविशिष्ट] विशेष-रहित, विरक्त होना ।
समान, तुल्य । णिव्विज्ज वि [निविद्य] मूर्ख ।
णिव्विसी स्त्री [निर्विषी] एक महौषधि । णिविट्ठ वि [निर्वृष्ट] उपाजित ।
णिव्विसेस वि [निविशेष] विशेष-रहित, णिव्विट्ठ वि [दे] योग्य ।
समान, साधारण । अभिन्न । णिविट्ठ वि निविष्ट] उपमुक्त, आसेवित, | णिव्वी स्त्री [निर्विकृति] तप-विशेष । परिपालित । °काइय न [°कायिक] जैन णिव्वीय देखो णिव्विइअ । शास्त्र में प्रतिपादित एक तरह का चारित्र । णिव्वीरा स्त्री [निर्वीरा] पुत्र-रहित विधवा णिव्विण्ण वि [निर्विण्ण] निर्वेद-प्राप्त, | स्त्री। खिन्न ।
णिव्वुअ वि [निर्वृत] निर्वृति-प्राप्त । स्वस्थ । णिव्वित्त वि [दे] सो कर उठा हुआ। णिव्वुइ स्त्री [निर्वृति] मुक्ति । मन की णिवित्ति देखो णिव्वत्ति। इन्द्रिय का |
स्वस्थता, निश्चिन्तता। सुख, दुःख-निवृत्ति । आकार, द्रव्येन्द्रिय-विशेष ।
जैन साधुओं की एक शाखा । एक राजकन्या। णिव्विद देखो णिव्विद = निर् + विद् । _ 'कर वि. निर्वृतिजनक । जणय वि[°जनक] णिव्विदुगुंछ वि [निविजुगुप्य] घृणा-रहित । । निर्वृति का उत्पादक । णिविभाग वि [निविभाग विभाग रहित ।। णिव्वुइकरा स्त्री [निर्वृतिकरा] भगवान् णिव्विय देखो णिव्विइअ ।
सुमतिनाथ की दीक्षा-शिविका । णिव्वियण वि [निर्विजन] मनुष्य-रहित । न. | णिव्वुड देखो णिव्वुअ। एकान्त स्थल ।
णिव्वुड वि [निर्वृत] अचित्त किया हुआ । णिव्विर वि [दे] चिपट, बैठा हुआ। णिव्वुड्ड देखो णिबुड्डु = नि + मस्ज् ।
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