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________________ सुमेरु । ३८० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष णामण-णारायण [°कर्मन्] विचित्र परिणाम का कारण-भूत | पिता के द्वारा सम्बन्ध, सम्बन्धिपन । °संड कर्म । °धिज्ज, °धेज, °धेय न [°धेय] | न [°षण्ड] उद्यान-विशेष । सुय पुं[सुत] नाम । 'पुर न. एक विद्याधर-नगर । °मुद्दा | भगवान् श्री महावीर । °सुय न [°श्रुत] स्त्री [°मुद्रा] नाम से अंकित मुद्रा । सच्च 'ज्ञाताधर्मकथा' नामक जैन आगम-ग्रन्थ । वि [°सत्य] नाम-मात्र से सच्चा, नामधारी । °धिम्मकहा स्त्री [°धर्मकथा] जैन आगमहेअ देखो 'धेय। ग्रन्थ-विशेष । णामण न [नमन] नीचा करना। णायग पुं [नायक] हार के बीच की मणि, णाममंतक्ख पुं [दे] अपराध ।। णामागोत्त न [नामगोत्र यथार्थ नाम । नाम णायग पुं नायक] नेता, मुखिया । तथा गोत्र । णायत्त पुं [दे] समुद्र मार्ग से व्यापार करनेणामिय न [नामिक] वाचक-शब्द, पद । वाला वणिक् । णामुक्कसिअ ) न [दे] कार्य। णायर देखो णागर। णामोक्कसि णायरिय देखो णागरिय । णाय वि [दे] अभिमानी। णायरी देखो णागरी। णाय देखो णाग। णार पुं [नार] चतुर्थ नरक-पृथिवी का एक णाय पुं [नाद] ध्वनि । प्रस्तर। णाय पुं [न्याय] अक्षपाद-प्रणीत न्याय- | | णारइअ वि [नारकिक] नरक पृथिवी में शास्त्र । सामयिक आदि षट्-कर्म । उत्पन्न, पुं. नरक का जीव । णाय पुं [नाद] अनुनासिक वर्ण, अर्धचन्द्राकार णारंग पुं [नारङ्ग] सन्तरे का वृक्ष । न. अक्षर-विशेष । कमला नीबू, सन्तरा का फल । णारग देखो णारय = नारक । णाय वि न्याय्य] न्या य-युक्त । णारद देखो णारय। णाय पुं [न्याय] न्याय, नीति । उपपत्ति, णारदीअ वि नारदीय] नारद-सम्बन्धी, प्रमाण । °कारि वि [°कारिन्] न्याय-कर्ता । °गर वि [°कर] न्याय-कर्ता। पुं. न्याया नारद का । धीश । °ण वि [°ज्ञ] न्याय का जानकार । णारय पुं नारद] नारद ऋषि । गन्धर्व सैन्य का अधिपति देव-विशेष । णाय पुं नाक] स्वर्ग । णाय पुं [ज्ञात] भगवान् महावीर । वि. णारय वि [नारक] नरक में उत्पन्न, नरकप्रसिद्ध । वि. विदित । ज्ञाति सम्बन्धी, सगा।। सम्बन्धी । पुं. नरक का जीव । वंश-विशेष में उत्पन्न । पुं. वंश-विशेष ।। णारसिंह वि [नारसिंह] नरसिंह-सम्बन्धी। क्षत्रिय-विशेष । न. उदाहरण । "कुमार पुं. णाराय पुं [नाराच] तौलने की छोटी तराजू, ज्ञातवंशीय राज-पुत्र । °कुल न. वंश-विशेष । काँटा । 'कुलचंद पुं[°कुलचन्द्र] भगवान् श्री महा- णाराय देखो पराअ । °वज न [वज्र] वीर । कुलनंदण पुं [कुलनन्दन] भगवान् संहनन-विशेष । श्री महावीर । 'पुत्त पुं [पुत्र] भगवान् श्री | णारायण पुं [नारायण] विष्णु, श्रीकृष्ण । महावीर । °मुणि पुं [मुनि] भगवान् श्री अर्ध-चक्रवर्ती राजा।। महावीर । °विहि पुंस्त्री [विधि] माता या । णारायण पुं नारायण] एक ऋषि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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