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णंदुत्तरा-गट्ट संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
३७३ णंदुत्तरा स्त्री [नन्दोत्तरा] पश्चिम रुचक पर्वत । णगरी देखो णयरी। पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी । कृष्णा णगाणिआ स्त्री [नगाणिका] छन्द-विशेष । नामक इन्द्राणी को एक राजधानी । पुष्करिणी- णगिद पुं [नगेन्द्र] श्रेष्ठ पर्वत । मेरु पर्वत । विशेष । राजा श्रेणिक की एक पत्नी । णगिण वि [नग्न] वस्त्ररहित । णकार [णकार, नकार]'ण' या 'न' अक्षर।। णग्ग देखो णग।। णक पुं [नक्र] जलजन्तु-विशेष, ग्राह, नाका। णग्ग वि [नग्न] नंगा । °इ पुं[°जित्] गन्धार रावण का एक सुभट ।
देश का एक राजा। णक्क पुं [दे] नासिका । वि. गूंगा । सिरा स्त्री. णग्गठ वि [दे] निर्गत । नाक का छिद्र ।
णग्गोह [न्यग्रोध] बड़ का पेड़ । परिमंडल णक्वंचर [नक्तञ्चर] राक्षस । चोर । बिडाल। न [°परिमण्डल] संस्थान-विशेष, शरीर का वि. रात्रि में चलने-फिरनेवाला ।
आकार-विशेष । णक्ख पुं [नख] नख । °अ वि [°ज नख से णघुस पुं [नघुप] एक राजा ।
उत्पन्न । °आउह पुं[°आयुध] सिंह। णचिरा = अचिरात् । णक्खत्त पुंन [नक्षत्र] कृत्तिका, अश्विनी, णच्च अक [नृत्] नृत्य करना। भरणी आदि ज्योतिष्क-विशेष । °दमण पुं णच्च न [ज्ञत्व] जानकारी, पण्डिताई । [°दमन] राक्षस-वंश का एक राजा, एक णच्च न [नृत्य] नृत्य । लंकेश । 'मास पुं. ज्योतिषशास्त्र में प्रसिद्ध णच्चग वि [नर्तक] नाचनेवाला। पुं. नट, समय-मान-विशेष । 'मुह न [°मुख] चन्द्र । नचवैया । "संवच्छर पुं [°संवत्सर] ज्योतिष शास्त्र- णच्चणी स्त्री [नर्तनी] नाचनेवाली स्त्री । प्रसिद्ध वर्ष-विशेष ।
णच्चा । णा - ज्ञा का संकृ. । णक्खत्त वि [नक्षत्र] क्षत्रिय-जाति के अयोग्य
णच्चाण, कार्य करनेवाला । पुन. एक देव-विमान ।।
णच्चासन्न न [नात्या सन्न]अति समीप में नहीं। णक्खत्त वि [नाक्षत्र नक्षत्र-सम्बन्धी ।
णच्चिर वि [दे] रमण-शील । णक्खत्तणेमि पुं [दे. नक्षत्रनेमि] विष्णु।।
णच्चुण्ह वि [नात्युष्ण] जो अति गरम न हो। णक्खन्नण न [दे] नख और कण्टक निकालने णज्ज सक [ज्ञा] जानना। का शस्त्र-विशेष ।
णज्ज वि [न्याय्य] न्याय-संगत, योग्य । णक्खि वि [नखिन् ] सुन्दर नखवाला । णज्जर वि [दे] मलिन । णख देखो णक्ख ।
णज्झर वि [दे] निर्मल । णग देखो णय = नग। °राय पुं [राज] | पट्ट अक [नट्] नाचना । सक. हिंसा करना । मेरु पर्वत । °वर पुं. श्रेष्ठ पर्वत । वरिंद
| णट्ट पुं [नट] नर्तकों की एक जाति । णट्ट न पुं["वरेन्द्र] मेरु-पर्वत ।
[नाट्य] नृत्य, गीत और वाद्य, नट-कर्म । णगर न [नकर, नगर] शहर । गुत्तिय, पाल पुं. नाट्य-स्वामी, सूत्रधार । °मालय पुं
गोत्तिय पुं [°गुप्तिक] नगर रक्षक । °घाय [°मालक] देव-विशेष, खण्डप्रपात गुहा का पुं[°घात] शहर में लूट-पाट । “णिद्धमण न अधिष्ठायक देव । °अरिअ पुं [°ाचार्य] [°निर्धमन] मोरी । रक्खिय पुं[°रक्षिक] सूत्रधार । देखो °गुत्तिय । °ावास पुं. राजधानी। । णट्ट [नृत्य] नाच, नृत्य ।
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