________________
षि
३६०
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष जोहार-झज्झरी जोहार सक [दे] प्रणाम करना । जिअ । (शौ) अ [दे] अवधारण सूचक जोहार पुं [दे] प्रणाम ।
ज्जेअ । अव्यय । जोहि वि [योधिन्] लड़नेवाला, सुभट ।
| जेव । (शौ) । देखो एव = एव । जोहिया स्त्री [योधिका] जन्तु-विशेष, हाथ | से चलने वाली एक प्रकार की सर्प-जानि। ज्झहराविअ वि [दे] निवासित ।
जेव्व
ज्झड देखो
1
झ पंझ ताल-स्थानीय व्यञ्जन वर्ण-विशेष । झंटलिआ स्त्री [दे] चंक्रमण, कुटिल गमन । ध्यान ।
| झंटिअ वि [दे] जिस पर प्रहार किया गया झंकार पुं [झङ्कार] नूपुर वगैरह की आवाज । हो वह, प्रहृत । झंकारिअ न [दे] फूल वगैरह का आदान या झंटी स्त्री [दे] छोटा किन्तु ऊँचा केश-कलाप । चुनना।
झंडली स्त्री [दे] कुलटा। झंख सक [दे] स्वीकार करना ।
झंडुअ पु [दे] पीलु का पेड़ । झंख अक [ सं+ तप्] सन्ताप करना। झंडुली स्त्री [दे] असती । क्रीड़ा । झंख अक वि+लप विलाप करना. | झंदिय वि [दे] पलायित, भगाया हुआ । बकवाद करना।
झंप सक [भ्रम्] फिरना। झंख सक [ उपा+लभ् ] उपालम्भ देना । झंप सक [आ + च्छादय] झाँपना, आच्छादन झंख अक [ निर्+श्वस् ] निःश्वास लेना। करना। झंख वि [दे] सन्तुष्ट, खुश ।
झंप सक [आ - क्रामय] आक्रमण करवाना । झंखर पु[दे] सूखा पेड़ ।
झंपणी स्त्री [दे] पक्ष्म, आँख की बरौनी । झंखरिअ [दे] देखो झंकारिअ ।
झंपा स्त्री [झम्पा] एकदम कूदना । झंखावण वि सन्तापक] सन्ताप करनेवाला। झंपिअ वि [दे] त्रुटित, टूटा हुआ। घट्टित, झंझ पुं कलह । °कर वि. फूट करानेवाला । | आहत । पत्त वि [°प्राप्त] क्लेश-प्राप्त ।
झंपिअ वि [आच्छादित] झपा हुआ, बंद झंझण । अक [झंझणाय] 'झन-झन' शब्द | किया हुआ । झंझणक्क करना।
झक्किअ न [दे] लोक-निन्दा । झंझणा स्त्री [झञ्झना] 'झन-झन' शब्द । झख देखो झंख = वि + लप् । . झंझा स्त्री [झञ्झा]वाद्य-विशेष, झाँझ, झाल। झगड पु [दे] कलह । प्रचण्ड वायु-विशेष । क्लेष, झगड़ा । माया, झग्गुली स्त्री [दे] अभिसारिका । कपट । क्रोध । तृष्णा, लोभ । व्याकुलता, | झज्झर पु [झर्झर] वाद्य-विशेष, झाँझ । पटह, व्यग्रता ।
ढोल । कलि-युग । नन्द-विशेष । झंझिय वि [झञ्झित भूखा ।
झज्झिरिय वि [झर्झरित] वाद्य-विशेष के झंट सक [भ्रम्] घूमना ।
शब्द से युक्त। झंट अक [गुञ्ज] गुञ्जारव करना ।
झज्झरी स्त्री [दे] दूसरे के स्पर्श को रोकने के
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org