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चम्मट्ठिल-चरिया संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष
३१५ तरह आचरण करना।
का मूल और उत्तर गुण । °करणाणुओग पुं चम्मटिल पु [चर्मास्थिल] पक्षि-विशेष ।
[करणानुयोग] संयम के मूल और उत्तर चम्मार पु [चर्मकार] चमार ।
गुणों की व्याख्या । कुसील पुं [ कुशील चम्मिय वि [चर्मित] चर्म में बँधा हुआ ।
शिथिलाचारी साधु । °णय [°नय] क्रिया चम्मेढ़ पु [चर्मेष्ट] चमड़े से वेष्टित पाषाण
को मुख्य माननेवाला मत । मोह पुम. वाला आयुध ।
चारित्र का आवारक कर्म-विशेष । चम्मेढग पुस्त्री [चर्मेष्टक] शस्त्र-विशेष ।
चरम वि. अन्तिम, अन्त का, पर्यन्तवर्ती । चय सक [ त्यज् ] त्याग करना ।
जिसका विद्यमान भव अन्तिम हो वह । चय सक [ शक् ] सकना, समर्थ होना।
°काल पु. मरणसमय । °जलहि पु चय अक [च्यु] मरना, एक जन्म से दूसरे
[°जलधि] अन्तिम समुद्र, स्वयंभूरमण जन्म में जाना।
समुद्र। चय पु [चय] देह । समूह । इकट्ठा होना ।
चरमंत पुं [चरमान्त] सब से अन्तिम, सब वृद्धि । ईटों की रचना-विशेष ।
से प्रान्त-वर्ती। चय पु [च्यव] जन्मान्तर-गमन ।
चरय देखो चरग। चयण न[चयन]इकट्ठाकरना। ग्रहण, उपादान । | चरि पुंस्त्री. पशुओं के चरने की जगह । चयण न [त्यजन] परित्याग ।
चारा। चयण न [च्यवन] मरण, जन्मान्तर-गमन । | चरिगा देखो चरिया = चरिका । पतन, गिर जाना । °कप्प पु [°कल्प] | चरित्त न [चरित्र] चरित, आचरण । चारित्र वगैरह से गिरने का प्रकार । शिथिल | व्यवहार । स्वभाव, प्रकृति । साधुओं का विहार ।
चरित्त न [चरित्र] जीवन-कथा, कहानी। चयण न [च्यवन] च्युति, भ्रंश, क्षय । चरित्त न [चारित्र] संयम, विरति, व्रत, चर सक [ चर् ] चलना, जाना । भक्षण | नियम । कप्प पुं [°कल्प] संयमानुष्ठान का करना । सेवना । जानना ।
प्रतिपादक ग्रन्थ । °मोह पुन. संयम का चर पु. गमन, गति । वर्तन । जङ्गम प्राणी । आवारक कर्म । 'मोहणिज्ज न [°मोहनीय] °चर वि. चलनेवाला।
वही पूर्वोक्त अर्थ । चरित्त न [°ाचारित्र] चरंती स्त्री. जिस दिशा में भगवान् जिनदेव | आंशिक संयम, श्रावक-धर्म । यार पुं वगैरह ज्ञानी पुरुष विचरते हों वह । . rचार] संयम का अनुष्ठान । रिय पुं चरग पु [चरक] देखो चर = चर । यूथबन्ध | [°ार्य] चारित्र से आर्य, विशुद्ध चारित्रवाला, घूमने वाले त्रिदण्डियों की एक जाति । दंश- साधु, मुनि । मशकादि जन्तु ।
चरिम देखो चरम। चरचरा स्त्री. 'चर-चर' आवाज ।
चरिय पु [चरक] जासूस, दूत । चरड पु [चरट] लुटेरे की एक जाति । | चरिय न [चरित] चेष्टित, आचरण । जीवनचरण पुन. संयम, चारित्र । आचरण । न. व्रत, चरित । चरित्र-ग्रन्थ । सेवित, आश्रित । नियम । चरना, पशुओं का तृणादि-भक्षण । चरिया स्त्री [चरिका] परिवाजिका, संन्यापद्य का चौथा हिस्सा । गमन, विहार । सिनी । किला और नगर के बीच का मार्ग । सेवन, आदर । पाद, पाँव । करण न. संयम | चरिया स्त्री [चर्या] आचरण, अनुष्ठान ।
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