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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
अल-अक्ख
अक्क पु [अ] सूर्य । आक का पेड़। रावण अक्किय वि [अक्रिय] क्रियारहित । का एक सुभट । 'तूल न आक की रूई। अक्कुट वि [दे] अध्यासित, अधिष्ठित । 'तेअ पु ['तेजस्] विद्याधर वंश का एक अक्कुस सक [गम्] जाना । राजा । बोंदीया स्त्री [°बोन्दिका] वल्ली- अक्कुहय वि [अकुहक] निष्कपट । विशेष ।
अक्कूर पु [अक्रूर] श्रीकृष्ण के चाचा का अक्क पु[दे] दूत ।
नाम । वि. क्रूरतारहित, दयालु । "अक्क देखो चक्र ।
अक्केज देखो अक्किज्ज । अक्कअ वि [अकृत] नहीं किया गया ।
अक्केल्लय वि [एकाकिन्] अकेला, एकाकी । अक्कंड देखो अकंड।
अक्कोड पु [दे] बकरा। अक्कंत वि [आक्रान्त] बलवान् के द्वारा दबाया
अक्कोडण न [आक्रोडन] इकट्ठा करना, संग्रह हुआ । घेरा हुआ, ग्रस्त । परास्त । एक जाति
करना। का निर्जीव वायु । न. आक्रमण, उल्लंघन ।
अक्कोस न [अक्रोश] जिस ग्राम के अति नज°दुक्ख वि [°दुःख] दुःख से दबा हुआ।
दीक में अटवी, श्वापद या पर्वतीय नदी आदि अक्कंत वि [दे] बढ़ा हुआ, प्रवृद्ध ।
का उपद्रव हो वह। अक्कंत वि [अकान्त] अनभिलषित, अनभिमत ।
अक्कोस सक [आ + क्रुश्] आक्रोश करना । अक्कंद अक [आ + क्रन्द्] रोना, चिल्लाना ।
अक्कोस पु [आक्रोश] कटु वचन, शाप, विलाप करना।
भर्त्सना । अक्कंद (अप) देखो अक्कम = आ + क्रम् ।
अक्कोसग वि [आक्रोशक] आक्रोश करने. अक्कंद पु [आक्रन्द] रोदन, विलाप, चिल्ला
वाला। कर रोना। अक्कंद वि [दे] रक्षक ।
अक्कोह वि [अक्रोध] अल्प-क्रोधी । क्रोधरहित । अक्कंदावणय वि [आक्रन्दक] रुलानेवाला ।
अक्ख पु [अक्ष] जीव, आत्मा। रावण का
एक पुत्र । चन्दनक, समुद्र में होनेवाला एक अक्कम सक [आ+क्रम्] आक्रमण करना,
द्वीन्द्रिय जन्तु. जिसके निर्जीव शरीर को जैन दबाना। परास्त करना। पु चढ़ाई
साधु लोग स्थापनाचार्य में रखते हैं। पहिया करना।
की धुरी, कील । चौसर का पासा । बिभीअक्कमण न [आक्रमण] पराक्रम । वि. आक्रमण |
तक । चार हाथ या ९६ अंगुलों का एक करनेवाला।
मान । रुद्राक्ष । न. इन्द्रिय । जूआ । °चम्म अक्कसाला स्त्री [दे] जबरदस्ती । उन्मत्त-सी न ['चर्मन्] पखाल, मसक । “पाडय न स्त्री ।
["पादक] कील का टुकड़ा। "माला स्त्री अक्का स्त्री [दे] बहिन ।
जपमाला। °लया स्त्री [°लता] रुद्राक्ष अक्का स्त्री कुट्टनी, दूती ।
की माला । °वत्त न [°पात्र] पूजा का अक्कासी स्त्री व्यन्तर-जातीय एक देवी।। पात्र । वलय न रुद्राक्ष की माला । अक्किज्ज़ वि [अक्रेय] खरीदने के अयोग्य । °वाअ [°पाद] नैयायिक मत के प्रवर्तक अक्किट्ठ वि [अक्लिष्ट] क्लेश-वजित । बाधा- गौतम ऋषि । °वाडग पुं [°वाटक] रहित ।
अग्वाड़ा । मुत्तमाला स्त्री [°सूत्रमाला] अकिट्ट वि [अकृष्ट] अविलिखित ।
जपमाला।
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