________________
३०२
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
घरिल्ली-घि घरिल्ली स्त्री [दे. गृहिणी] गृहिणी । | घाड अक [भ्रंश्] च्युत होना । घरिस पुं [घर्ष घर्षण, रगड़ ।
घाड पुं [घाट] मित्रता। मस्तक के नीचे का घरोइला स्त्री [दे] छिपकली।
भाग। घरोल न [दे] गृह-भोजन-विशेष ।
घाडिय वि [घाटिक] मित्र । घरोलिया । स्त्री [दे] गृहगोधिका, छिपकली। घाडेरुय पुं [दे] खरगोश की एक जाति । घरोली
| घाण पुं [दे] घानी, कोल्हू । धान, चक्की आदि घलघल पु. 'घल-घल' आवाज ।
में एक बार डालने का परिमाण । घल्ल सक [क्षिप्] फेंकना, डालना, घालना। घाण पुंन [घ्राण] नासिका। °ारिस पुन घल्ल वि दे] अनुरक्त, प्रेमी ।
[शस्] पीनस रोग। घल्लय । पुं [दे] द्वीन्द्रिय जीव की एक | घाणिदिय न [घ्राणेन्द्रिय] नासिका । घल्लोय जाति ।
घाय सक [हन] मारना, विनाश करना। घल्लिअ वि [दे] घटित, निर्मित । घाय सक [घातय्] मरवाना, दूसरे द्वारा मार घस सक [घष] घिसना, रगड़ना। मार्जन डालना, विनाश करवाना। करना, सफा करना।
घाय पुं [घात] गमन, प्रहार, वार । नरक । घस स्त्रीन [दे] फाटवाली भूमि । शुषिर भूमि, । हत्या, विनाश । संसार । क्षार भूमि ।
घायग वि [घातक] मार डालनेवाला, विनाघसणिअ वि [दे] गवेषित ।
शक। घसणी स्त्री [घर्षणी] टेढ़ी लकीर । घायण पुंदे] गायक । घसा स्त्री [दे] पोलो जमीन । भूमि-रेखा ।। घायणा स्त्री [हनन] मारना, हिंसा, वध । घसिर वि [ग्रसितृ] बहुत खानेवाला । घायय पुं [घातक] नरक-स्थान-विशेष । घमी स्त्री दे] भमि-राजि. लकीर। नीचे घायावणा स्त्री [घातना] मरवाना, दूसरे उतरना, अवतरण । [दे] जमीन का उतार, द्वारा मारना । लूटपाट मचवाना । ढाल ।
| घार अक [घारय] विष का फैलना, विष के घसुमर वि [घस्मर] खाने की आदतवाला। असर से बेचैन होना। सक. विष से बेचैन घाइ वि [घातिन्] नाशक, हिंसक । कम्म न | करना । विष से मारना । [°कर्मन्] ज्ञानावरण, दर्शनावरण, मोहनीय घार पुंदे] दुर्ग। और अन्तराय ये चार कर्म । °चउक्क न घारंत पुंदे] घेवर। [चतुष्क] पूर्वोक्त चार कर्म ।
घारिया स्त्री [दे] मिष्टान्न-विशेष, घारी । घाइअ वि [घातित] मारित, विनाशित । घारी स्त्री [दे] पक्षि-विशेष । छन्द-विशेष । घवाया हुआ। सामर्थ्यरहित ।
| घास सक [घृष्] घिसना । पीड़ा करना । घाइआ स्त्री [घातिका] विनाश करनेवाली | घास पुं. तृण । स्त्री, मारनेवाली स्त्री। घात, हत्या । घाव घास पुं [ग्रास] कवल । आहार । करना।
घास पुं [घर्ष] घर्षण, रगड़ । घाइर वि [घ्रायिन्] घनेवाला। घासंसणा स्त्री [ग्रासैषणा] आहार-विषयक घाउकाम वि [हन्तुकाम] मारने की इच्छा- शुद्धि-अशुद्धि का पर्यालोचन । वाला।
| घि देखो धे।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org