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। गिलोई )
२९० संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दो कोष
गिह्मा-गीय गिह्मा स्त्री. देखो गिह्म।
गिलायय वि [ग्लायक] ग्लानि युक्त, ग्लान । गिर सक [यै] उच्चारण करना । निगलना। | गिलासि पुंस्त्री [ग्रासिन्] भस्मक रोग।। गिरा स्त्री [गिर] वाणी, भाषा ।
गिलिअवंत वि [गिलितवत्] जिसने भक्षण गिरि पुं. पर्वत । °अडी स्त्री [ तटी] पर्वतीय किया हो वह । नदी। कण्णई, कण्णी स्त्री [कर्णी] | गिलोइया । स्त्री [दे] गृह-गोधा । लता-विशेष । कूड न [ कूट] पर्वत का शिखर । पुं. रामचन्द्र का महल । 'जण्ण पु गिल्लि स्त्री [दे] हाथी की पीठ पर कसा जाता [यज्ञ] कोंकण देश में वर्षाकाल में किया हौदा, हौदा । डोली। जाता एक प्रकार का उत्सव : °णई स्त्री गिव्वाण पुं [गीर्वाण] देव ।। [°नदी] पर्वतीय नदी। णाल पुं [°नार] गिह न [गृह] घर । 'त्थ पुंस्त्री [स्थ] प्रसिद्ध पर्वत-विशेष । दारिणी स्त्री. विद्या- संसारी । नाह पुं[नाथ] घर का मालिक । विशेष । पक्खंदण न [प्रस्कन्दन] पहाड़
लिंगि पुंस्त्री [लिङ्गिन्] गृही, संसारी । पर से गिरना । यडय न ["कटक]पर्वत का
°वइ पुंस्त्री [°पति] गृहस्थ । घर का मध्य भाग । °पन्भार पुं [प्रारभार] पर्वत. मालिक । °वास पुं. घर में निवास । द्वितीयानितम्ब । °राय पुं [राज] मेरु पर्वत । "वर श्रम । विट्ट पुं [°ावर्त] संसारिपन । °ासम पुं. प्रधान पर्वत, उत्तम पहाड़। वरिंद पुं
पुं[°श्रम] द्वितीयाश्रम । [°वरेन्द्र] मेरु पर्वत । सुआ स्त्री [°सुता]
गिहिकोइला स्त्री [गृहकोकिला] छिपकली। पार्वतो।
गिहमेहि पुं [गृहमेधिन] गृहस्थ । गिरि पुं[दे] बीज-कोश ।
गिहवइ पुं [गृहपति] देश का अधिपति, सूबेगिरिंद पुं [गिरीन्द्र] श्रेष्ठ पर्वत । मेरु पर्वत । दार । हिमाचल ।
गिहि पुं [गृहिन्] संसारी, गृहस्थ । धम्म पुं गिरिडी स्त्री [दे] पशुओं के दाँत को बाँधने । [°धर्म] गृहस्थ-धर्म, श्रावक-धर्म । °लिंग न का उपकरण विशेष ।
[°लिङ्ग] गृहस्थ का वेश । गिरिनयर न [गिरिनगर] गिरनार पर्वत के गिहिणी स्त्री [गृहिणी] भार्या । नीचे का नगर ।
गिहीअ वि [गृहीत] आत्त, उपात्त, ग्रहण गिरिफुल्लिय न [गिरिपुष्पित] नगर-विशेष । किया हुआ। गिरिस पुं [गिरिश] शिव । 'वास पं. कैलाश गिहेलुग । पुं [गृहैलुक] देहली। पर्वत ।
गिहेलुय । गिरीस पुं [गिरीश] हिमालय पर्वत । महादेव । गी स्त्री [गिर] वाणी। गिल सक [ग] गिलना, निगलना, भक्षण । गीआ स्त्री [गीता] श्रीमद्भगवद्गीता, ज्ञानमय करना।
उपदेश, छन्द-विशेष । गिला । अक [गलै] ग्लान होना, बीमार गीइ स्त्री [गीति] आर्या-वृत्त का एक भेद । गिलाअ । होना । खिन्न होना, थक जाना। गान । उदासीन होना । असमर्थ होना।
गीइया स्त्री [गीतिका] ऊपर देखो। गिलाणि स्त्री [ग्लानि] पलानि, खेद, गीय वि [गीत] पद्य-मय वाक्य, गेय, जो गाया थकावट।
जाय वह । कथित, प्रतिपादित । प्रसिद्ध । न.
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