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काहीइदाण-किपुरिस
काहीइदाण न [कारिष्यतिदान ] प्रत्युपकार
की आशा से दिया जाता दान | काहे अ [का] कब, किस समय ? काहेणु स्त्री [] गुञ्जा कि देखो कि
।
कि सक [कृ] करना, बनाना ।
किअ देखो कय = कृत ।
किअ देखो किव = कृप । किअंत वि [ कियत्] कितना । किअंत देखो कयंत ।
किआडिआ स्त्री [कृकाटिका] गला का उन्नत
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कौष
दूसरा भी ।
किंचण न [किञ्चन ] चोरी | अ. कुछ । किंचण न [ किञ्चन ] द्रव्य, वस्तु । किचहिय व [ किञ्चिदधिक] कुछ ज्यादा | किंचि अ [ किञ्चित् ] अल्प | किंचिम्मत्त वि[किञ्चिन्मात्र ] बहुत थोड़ा । किंचूण वि [ किञ्चिदून ] कुछ कम, पूर्ण प्राय । किंजक्क पुं [किञ्जल्क] पुष्प - रेणु, पराग । किंजक्ख पुं [दे] शिरीष-वृक्ष |
किणेदं (शौ ) । अ [ किमिदम् किमेतत् ] यह क्या ?
किंतु अ [ किन्तु ] परन्तु । कियुग्घ देखो किंसुग्घ ।
भाग ।
किइ स्त्री [कृति ] क्रिया, विधान । 'कम्म न [कर्मन्] वन्दन । कार्य-करण | विश्रामणा । किस [[क] कौन, क्या, क्यों, निन्दा, प्रश्न, अतिशय अल्पता और सादृश्य को बतलानेवाला शब्द | ° उण अ [पुनः ] तब फिर, फिर क्या ? किकत्तव्वया देखो किंकायव्वया । किंकम्म पुं [किकर्मन्] इस नाम का एक गृहस्थ 1
किंकर पुं. नौकर, दास | सच्च पुं [ 'सत्य ] परमात्मा । विष्णु |
किंकाइअ देखो केकाइय |
किंकायव्या स्त्री [[कंकर्त्तव्यता ] क्या करना है यह जानना । मूढ वि. हक्का बक्का | किंकार पुन [क्रेङ्कार ] अव्यक्त शब्द- विशेष | किकिअ वि [दे] सफेद । किकिञ्चजड वि [किंकृत्यजड] हक्का बक्का | fifafa स्त्री [ङ्किणिका ] क्षुद्र घण्टिका, करधनी ।
fifaणी स्त्री [ofङ्कणी] ऊपर देखो । किंकिल्लि देखो कंकिल्लि | foगिरिड पुं [ किङ्किरि ] क्षुद्र कीट - विशेष,
त्रीन्द्रिय जीव की एक जाति ।
किंच अ. समुच्चय- द्योतक अव्यय, और भी,
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किंदिय न [केन्द्र ] वर्त्तुल का मध्य-स्थल | ज्योतिष में इष्ट लग्न से पहला, चौथा, सातवाँ और दसवाँ स्थान | किं पुं [कन्दुक] गेंद । किधर पुं [दे] छोटी मछली ।
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किनर [ किन्नर ] व्यन्तर देवों की एक जाति । भगवान् धर्मनाथ जी के शासनदेव का नाम । चमरेन्द्र की रथ- सेना का अधिपति देव | एक इन्द्र | देव- गन्धर्व, देव- गायक । ° कंठ पुं [° कण्ठ] किन्नर के कण्ठ जितना बड़ा एक
मणि ।
किनरी स्त्री [ किन्नरी] किन्नर देव की स्त्री । किंनु अ [[कंनु ] पूर्वपक्ष, आक्षेप, आशङ्का का
सूचक अव्यय । कंपय वि [दे] कृपण ।
किंपाग पुं [ किम्पाक ] वृक्ष - विशेष । न. उसका फल, जो देखने में और स्वाद में सुन्दर, परन्तु खाने से प्राण का नाश करता है । किंपि अ [ किमपि ] कुछ भी । किंपुरिस पुं [ किंपुरुष ] व्यन्तर देवों की एक जाति । किन्नर - निकाय के उत्तर दिशा का इन्द्र | वैरोचन बलीन्द्र की रथसेना का अधिपति देव | कंठ पुं [ कण्ठ] मणि की एक
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