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ककुभ ,
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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष कंसालिया-कवखल कंसालिया स्त्री [कांस्यतालिका] एक प्रकार कक्कराइय न [कर्करायित] कर्कर की तरह का वाद्य।
| आचरित । दोषोच्चारण । कंसिअ पुं [कांस्यिक] कसेरा, कसारी, कांस्य- कक्कस वि [कर्कश] कठोर । प्रखर, चण्ड । कार । वाद्य-विशेष ।
तीव्र, प्रगाढ । अनिष्ट । निष्ठुर । चबा-चबा कंसिआ स्त्री [कसिका] ताल । वाद्य- कर कहा हुआ वचन । विशेष।
कक्कस , पुंदे] दध्योदन, दरम्ब । ककाणि पुंस्त्री [दे] मर्म स्थान ।
कक्कसार ककुध । देखो कउह - ककुद ।
कक्कसेण पुं [कर्कसेन] अतीत उत्सर्पिणीकाल
में उत्पन्न एक स्वनामख्यात कुलकर पुरुष । ककुह देखो कउह = ककुद । हरिवंश का एक
| कक्कालुआ स्त्री [कर्कारुका] कूष्माण्डवल्ली, राजा
कोहड़ा का गाछ। ककुहा देखो कउहा।
| कक्किड पुं [दे] कृकलास, गिरगिट । कक्क पुं [कल्क] उद्वर्तन-द्रव्य । न. पाप ।
| कक्कि पुं [कल्किन] भविष्य में होनेवाला पाटमाया, कपट । °गरुग न [°गुरुक] माया,
लिपुत्र का एक राजा। कपट ।
कक्किय न [कल्किक] मांस । कक्क पुंन [कल्कचन्दन आदि उद्वर्तन द्रव्य ।
कक्वेअण पुन (कर्केतन] रत्न की एक जाति । प्रसूति-रोग आदि में किया जाता क्षार
कक्केरअ पुं [कर्केरक] मणि-विशेष की एक पातन । लोध्र आदि से उद्वर्तन । 'कुरुया
जाति । स्त्री [°करुका] माया, कपट।
कक्कोड न [कर्कोट] कक रैल, कक्कोडा। देखो कक्क पुं [कर्क] चक्रवर्ती का एक देव-कृत | कक्कोडय। प्रासाद । कर्क राशि।
कक्कोडई स्त्री [कर्कोटको] ककोडे का वृक्ष, कक्कंध पुं [कर्कन्ध] ग्रहाधिष्ठायक देव-विशेष ।
ककरैल का गाछ । कक्कंधु स्त्री [कर्कन्धु] बैर का वृक्ष ।
कक्कोडय न [कर्कोटक] देखो कक्कोड । पुं. कक्कड पुं [कर्कट] कर्कराशि । न. जलजन्तु- अनुवेलन्धर-नामक एक नाग-राज । उसका विशेष, कुलीर । ककड़ी। हृदय की एक आवास पर्वत । प्रकार की वायु ।
कक्कोल पुं [कङ्कोल] शीतल-चीनी के वृक्ष कक्कडच्छ पुं [कर्कटाक्ष] ककड़ी, खीरा । । का एक भेद । न . फल-विशेष, जो सुगन्धित कक्कडिया ) स्त्री [कर्कटिका, °टी] ककड़ी | होता है । देखो कंकोल। कक्कडी ) (खीरा) का गाछ । कक्कोली स्त्री [ककोली] वृक्ष-विशेष । कक्कणा स्त्री [कल्कना] पाप । माया। कक्ख देखो कच्छ = कक्ष । कक्कब पुं [दे] गुड़ बनाते समय की इक्षु-रस कक्खग वि [कक्षाग] कक्षा-प्राप्त । पुं. कक्षा की एक अवस्था।
का केश । कक्कर पुं [कर्कर] कंकर, पत्थर । वि. कठिन ।
कक्खड देखो कक्कस। कर्कर आवाजवाला।
कक्खड वि [दे] पीन, पुष्ट । कक्करणया स्त्री [कर्करणता] दोषोद्भावन, कक्खडंगी स्त्री [दे] सखी। दोषोद्भावनगर्भित प्रलाप ।
कक्खल [दे] देखो कक्कस।
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