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उहट्ठ- ऊसत्थ
[+] नष्ट होना ।
उहट्टु = उव्वट्ट का संकृ. । उह स [ उभय] दोनों । उहर न [ उपगृह] छोटा घर । उहस सक [उप+हस्] उपहास करना ।
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
ऊ पुं. प्राकृत वर्णमाला का षष्ठ स्वरवर्ण । ॐ अ [दें] इन अर्थों का सूचक अव्यय - निन्दा | आक्षेप | प्रस्तुत वाक्य के विपरीत अर्थ की आशंका से उसे उलटाना । विस्मय । सूचना । अट्ठ वि [ अववृष्ट ] वृष्टि से नष्ट | ऊआ स्त्री [दे] यूका, जूं । ऊआस पुं [ उपवास] भोजनाभाव । ऊगिय वि [दे] अलंकृत |
ऊज्झाअ देखो उवज्झाय ।
'ऊड देखो कूड ।
ऊढ वि. वहन किया हुआ, धारण किया हुआ । परिणीत ।
ऊदिअय वि [दे] प्रावृत, आच्छादित । न.
ऊण न [ऋण] ऋण । ऊदिअ वि [दे] आनन्दित । ऊणिमा स्त्री [पूर्णिमा] पूर्णिमा | ऊणिय व [ऊनित ] कम किया हुआ । ऊणिय पं [ऊणिक] सेवक - विशेष । ऊणोरिआ स्त्री [ऊनोदरिता ] कम आहार
करना, तप- विशेष ।
ऊतालीस
'ऊर पुं [दे] ग्राम । संघ 'ऊर देखो तूर ।
ऊर देखो पूर ।
ऊरण पुं. मेष ।
ऊरणी स्त्री [] मेष, भेड़ ।
ऊरणीअ वि [ औरणिक] भेड़ी चरानेवाला । 'रवि [पूरक] पूति करनेवाला । ऊरस वि [ औरस ] स्व-पुत्र | ऊरिसंकिअ वि [दे] रोका हुआ । ऊरी अ. अङ्गीकार । [कृत] अंगीकृत |
विस्तार । कय वि
ऊरु पुं. जाँघ । जाल न. जांघ तक लटकनेवाला एक आभूषण ।
आच्छादन, प्रावरण |
ऊरुदग्घ वि [ऊरुदन] जंघा - प्रमाण |
ऊण वि [ऊन] न्यून, हीन । 'वीसइम वि ऊरुद्दअस वि [ऊरुद्रयस] ऊपर देखो ।
[विंशतितम] उन्नीसवाँ ।
ऊरुमेत्त वि [ ऊरुमात्र ] ऊपर देखो ।
ऊल पुं [] गति भङ्ग
'ऊल देखो कूल ।
ऊस पुं [ उस्र] किरण | मालि पुं [मालिन् ] सूर्य
ऊस पुं [ऊष ] क्षार-भूमि की मिट्टी । ऊसअ न [दे] तकिया ।
ऊसढ वि [ उत्सृष्ट ] परित्यक्त । न उत्सर्जन । मलादि का त्याग |
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ऊस व [दे. उच्छ्रित] उच्च श्रेष्ठ । ताजा । ऊसण न [दे] गति-भङ्ग ।
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स्त्री न [ एकोनचत्वारिंशत् ] उनचालीस ।
ऊयाल
ऊमिणण न [ दे] प्रोंखणक, चुमना । ऊमिणिय वि [दे] जिसने स्नान के
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शरीर पोंछा हो वह । ऊमित्ति न [] दोनों पार्श्वो में आघात करना ।
उहार पुं. मत्स्य - विशेष । उहिजल पुं [दे] चतुरिन्द्रिय जन्तु- विशेष । हिंजलि स्त्री [] ऊपर देखो | उहु (अप) देखो अहो = अहो ।
उरवि [] अवाङ्मुख, अधोमुख ।
ऊ
बाद ऊसन्हसहिया देखो उस्सण्हसहिया । ऊसत्त देखो उसत्त ।
ऊसत्थ पुं [दे] जम्भाई । वि. आकुल ।
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