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________________ उसण-उस्सप्पणा संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष १८१ उसण पुं [उशनस्] ग्रह-विशेष, शुक्र । । उसुअ पुं [दे] दोष, दूषण । उसणसेण पुं [दे] बलभद्र ।। उसुअ न [इषुक] बाण के आकार का एक उसत्त वि [उत्सत] ऊपर बँधा हुआ। आभूषण । तिलक । उसन्न पुं [उत्सन्न] भ्रष्ट यति-विशेष की एक | उसुअ वि [उत्सुक] उत्कण्ठित । जाति । उसुयाल न [दे] उदुखल । उसप्पिणी देखो उस्सप्पिणी। उसूलग पुं [दे] परिखा, शत्रु-सैन्य का नाश उसभ पुंन [वृषभ] एक देव-विमान । करने के लिए ऊपर से आच्छादित गर्तउसभ पुं [ऋषभ, वृषभ] स्वनामख्यात प्रथम | विशेष। जिनदेव । बैल । वेष्टन-पट्ट। देव-विशेष । उस्स पुं [दे] हिम, ओस । ब्राह्मण-विशेष । 'कंठ पुं [°कण्ठ] बैल का | उस्संकलिअ वि [उत्संकलित] निसृष्ट, गला । रत्न-विशेष । कूड पुं ["कूट] पर्वत- परित्यक्त। विशेष । °णाराय न [°नाराच] संहनन- उस्संखलअ वि [उच्छृङ्खलक निरङ्कुश । विशेष, शरीर-बन्ध-विशेष । 'दत्त पुं. ब्राह्मण- उस्संग पुं [उत्सङ्ग) क्रोड, कोला । कुण्ड ग्राम का रहनेवाला एक ब्राह्मण, उस्संघट्ट वि [ उत्संघट्ट ] शरीर-स्पर्श से जिसके घर भगवान् महावीर अवतरे थे। रहित । °पुर न. नगर-विशेष । पुरी स्त्री. एक राज- उस्सक अक [उत् + ष्वष्क्] उत्कण्ठित होना । धानी । °सेण पुं [°सेन] भगवान् ऋषभदेव पीछे हटना । सक स्थगित करना। के प्रथम गणधर । उस्सक सक [उत् + वष्क्] प्रदीप्त करना, उसर (पै) पुंस्त्री [उष्ट्र] ऊँट । उत्तेजित करना। उसलिअ वि [दे] रोमाञ्चित । उस्सक्कण न [उत्वष्कण] उत्सर्पण । उसह देखो उसभ। उस्सग्ग पुं [उत्सर्ग] त्याग । सामान्य विधि । उसहसेण पुं [वृषभसेन] तीर्थङ्कर-विशेष । उस्सग्गि वि [उत्सर्गिन्] उत्सर्ग-सामान्य जिनदेव की एक शाश्वती प्रतिमा। नियम-का जानकार । उसा अ [उषस्] प्रभात-काल । उस्सण्ण वि [अवसन्न] निमग्न । उसिण वि [उष्ण] गरम । पुन. गरम स्पर्श । उस्सण्ण अ [दे] प्रायः । गरमी। उस्सण्हसण्हिआ स्त्री [उत्रलक्ष्णश्लक्ष्णिका] उसिय वि [उत्सृत] व्याप्त । परिमाण-विशेष, ऊर्ध्व-रेणु का ६४वाँ हिस्सा। उसिय वि [उषित] निवसित । उस्सन्न देखो उस्सण्ण = दे। °भाव पुं. उसिर ) न [उशीर] सुगन्धि तृण विशेष । बाहुल्यभाव। उसीर । उस्सन्न वि [उत्सन्न] निज धर्म में आलसी उसीर न [दे] कमल-दण्ड । साधु । उस पुं [इषु] बाण । धनुराकार क्षेत्र का उस्सप्पण न [उत्सर्पण] उन्नति, पोषण । वि. बाणस्थानीय क्षेत्र-परिमाण । °कार, गार, | उन्नत करनेवाला । प्यार पुं. पर्वत-विशेष । इस नाम का एक उस्सप्पणा स्त्री [उत्सर्पणा] उन्नति, राजा। स्वनाम-ख्यात एक पुरोहित । वि. | प्रभावना। बाण बनानेवाला । स्वनाम-ख्यात एक नगर। | उस्सप्पणा स्त्री [उत्सर्पणा] विख्यात करना । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
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