________________
स्व० पं० हरगोविन्ददास त्रिकमचंद सेठ कृत
पाइअ-सद्द-महण्णवो
की
किञ्चित् परिवर्तित आवृत्ति
प्राकृत-हिन्दी कोश
नम्र सूचन इस ग्रन्थ के अभ्यास का कार्य पूर्ण होते ही नियत etary
समयावधि में शीघ्र वापस करने की कृपा करें. Jain जिससे अन्य वाचकगण इसका उपयोग कर सकें. ७ Fand
सम्पादक
डॉ० के० आर० चन्द्र, एम० ए०, पीएच० डी०
अध्यक्ष प्राकृत-पालि विभाग भाषा-साहित्य भवन गुजरात युनिवर्सिटी अहमदाबाद-९
प्रकाशक प्राकृत जैन विद्या विकास फण्ड ७७/३७५, सरस्वती नगर, आजाद सोसाइटी, अहमदाबाद-१५
सह प्रकाशक पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान
आई० टी० आई० रोड, वाराणसी-५
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org