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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उत्थरिय-उदरिय उत्थरिय वि [दे] निस्सृत, निर्गत । उठा , उदंप पुं [उदृप्त] कृष्णराज पुत्र उदय । हुआ।
उदग पुन [उदक] पानी । वनस्पति-विशेष । उत्थल न [उत्स्थल] ऊँची धूल-राशि ।। जलाशय । पुं. स्वनाम-ख्यात एक जैन साधु । उन्मार्ग, कुपथ ।
सातवें भावी जिनदेव । गब्भपुं[°गर्भ]बादल । उत्थलिअ न [दे] घर । वि. उन्मुख गत ।। °दोणि स्त्री [°द्रोणि] जल रखने का पात्रउत्थल्ल अक [उत् + शल्] उछलना, कूदना। विशेष,ठण्ढा करने के लिए गरम लोहा जिसमें उत्थल्लपत्थल्ला स्त्री [दे] दोनों पार्थों से
डाला जाता है वह । जो अरघट्ट में लगाया परिवर्तन, उथल-पुथल ।
जाता है वह छोटा घड़ा। °पोग्गल न उत्थल्ला स्त्री [दे] परिवर्तन । उद्वर्तन ।
[°पौद्गल]मेघ । °मच्छ पुं [°मत्स्य] इन्द्रउत्थाइ वि [उत्थायिन्] उठनेवाला।
धनुष का खण्ड, उत्पात-विशेष । °माल पुंस्त्री. उत्थाइय वि [उत्थापित] उठाया हुआ।
जल का ऊपर चढ़ता तरङ्ग, उदकशिखा, उत्थाण न [उत्थान] वीर्य, बल, पराक्रम । |
वेला । वत्थि स्त्री [°वस्ति] पानी भरने का
मशक । °सिहा स्त्री [°शिखा] वेला । उत्पत्ति ।
°सीम पुं [°सीमन्] पर्वत-विशेष । उत्थामिय (अप) वि [उत्थापित] उठाया |
उदग्ग वि [उदन] सुन्दर । उत्कट, प्रखर । हुआ।
मुख्य । उत्थार सक [आ+क्रम्] आक्रमण करना,
उदड्ढ पुं [उद्दग्ध] एक नरक-स्थान । दबाना।
उदत्त वि [उदात्त] उदार । उत्थार देखो उच्छाह - उत्साह । उत्थिय देखो उत्थइअ ।
उदत्त वि [उदात्त] जो उच्च स्वर से बोला °उत्थिय वि [°तोथिक] मतानयायी, दर्शना
जाय वह स्वर । नुयायी।
उदन्ना स्त्री [उदन्या] तृषा । °उत्थिय वि [ यूथिक] यूथ-प्रविष्ट ।।
उदय देखो उदग। उत्थुभण न [अवस्तोभन] अनिष्ट की शान्ति
उदय पुं. लाभ । उन्नति । उत्पत्ति । कर्मके लिए किया जाता एक प्रकार का कौतुक,
परिणाम । प्रादुर्भाव । भरतक्षेत्र के भावी थू-थू आवाज करना।
सातवें जिनदेव । भरतक्षेत्र में होनेवाले तीसरे उद न, जल । °उल्ल, ओल्ल वि [T] जिनदेव का पूर्व-भवीय नाम । स्वनाम-ख्यात पानी से गीला । गत्ताभ न [°ग भ]
एक राजकुमार । आयल पुं [°चल] पर्वतगोत्र-विशेष ।
विशेष, जहाँ सूर्य उदित होता है। उदइय देखो ओदइय।
उदयण पुं [उदयन] राजा सिद्धराज का उदइल्ल वि [उदयिन्] उदयवान्, उन्नतिशील। प्रसिद्ध मन्त्री। कोशाम्बी नगरी के राजा उदंक पुं. जल का पात्र-विशेष, जिससे जल शतानीक का पुत्र । एक विख्यात जैन राजा । ऊँचा छिड़का जाता है।
न. उन्नति । वि. उन्नत होनेवाला, प्रवर्धमान । उदंच सक [उद् + अञ्च] ऊँचा जाना । । उदर न. पेट । पेट की बीमारी । उदंचण पुं. ऊँचा फेंकना । वि. ऊँचा फेंकने- | उदरंभरि वि. स्वार्थी, अकेलपेटू । वाला।
उदरि वि [उदरिन्] पेट की बीमारीवाला। उदंत पुं. हकीकत, वृत्तान्त ।
। उदरिय वि [उदरिक] ऊपर देखो ।
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