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१५४ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
उत्तरंग-उत्तास विक्किय, वेउब्विय वि [वैक्रिय] 1 उत्तर । स्वाभाविक-भिन्न वैक्रिय, बनावटी वैक्रिय । | उत्तरिल्ल वि [औत्तराह] उत्तर-दिशा या °साला स्त्री [°शाला] क्रीडा-गृह । पीछे से काल में उत्पन्न या स्थित, उत्तर सम्बन्धी, बनाया हुआ घर। वाहन गृह, हाथी-घोड़ा | उत्तरीय । आदि बाँधने का स्थान, तोला । "साहग, उत्तरीअ देखो उत्तरिय = उत्तरीय । °साहय वि [°साधक] विद्या, मन्त्र वगैरह
उत्तरीकरण न. उत्कृष्ट बनाना, विशेष शुद्ध का साधन करनेवाले का सहायक । देखो
करना। उत्तरा।
उत्तरो? पुं [उत्तरौष्ठ] ऊपर का ओठ । मूंछ । उत्तरंग न [उत्तरङ्ग] दरवाजे का ऊपर का
उत्तलहअ पुं [दे] विटप, अङ्कुर । काष्ठ । वि. चञ्चल ।
उत्तव वि [उक्तवत्] जिसने कहा हो वह । उत्तरकुरु पुं.ब. देव-भूमि, स्वर्ग । स्त्री. भगवान् उत्तस अक [उत् + त्रस्] बास पाना, पीड़ित नेमिनाथ की दीक्षाशिविका ।
होना । भयभीत होना । उत्तरणवरंडिया स्त्री [दे] उडुप, जहाज। उत्ताड सक [उत् + ताडय] ताड़न करना । उत्तरविउविवय वि [उत्तरवैकियिक] उत्तर- वाद्य बजाना। वैक्रिय नामक लब्धि से सम्पन्न ।
उत्ताण वि [उत्तान] उन्मुख, ऊर्ध्वमुख । उत्तरसंग देखो उत्तरा-संग।
चित्त । विस्फारित । अनिपुण । "साइय वि उत्तरा स्त्री. उत्तर-दिशा। मध्यम ग्राम की | ["शायिन्] चित्त सोनेवाला। की एक मूर्च्छना। एक दिशा-कूमारी देवी। उत्ताणपत्तय वि [दे] एरण्ड-सम्बन्धी ( पत्ती दिगम्बर-मत प्रवर्तक आचा शिवभूति की।
__ वगैरह)। स्वनामख्यात भगिनी। अडिच्छत्रा नगरी | उत्ताणिअ वि [उत्तानित] चित्त किया हुआ। की एक वापी का नाम । °णनास्त्री[°नन्दा] | चित्त सोनेवाला । एक दिक्कुमारी देवी । पह पुं [पथ] | उत्तार सक [अव + तारय्] नीचे उतारना । उत्तरदिशा-स्थित देश। फग्गुणी देखो उत्तार सक [उत् +तारय] पार पहुँचाना । उत्तरफग्गुणी। भद्दवया देखो उत्तर- बाहर निकालना । दूर करना । भवया । 'यण न. सूर्य का उत्तर दिशा में उत्तार पुं [उत्तार] उतरना, पार करना । गमन, माघ से लेकर छः महीना । 'यया परित्याग । उतारनेवाला, पार करानेवाला । स्त्री [यता] गान्धार ग्राम की एक मुर्छना । | उत्तार पु [दे] आवास स्थान । °वह देखो "पह। °संग पुं. उत्तरीय वस्त्र | उत्तारय वि [उत्तारक] पार उतारनेवाला । का शरीर में न्यास-विशेष, उत्तरासण । | उत्ताल वि [उत्ताल] महान्, बड़ा। उतावला। "समा स्त्री. मध्यम ग्राम की एक मूर्च्छना। उद्धत । बेताल, ताल-विरुद्ध गान का एक "साढा स्त्री [ °षाढा ] नक्षत्र-विशेष । दोष । हुत्त न [भिमुख] उत्तर की तरफ। वि. | उत्ताल न [दे] लगातार रुदन । उत्तर दिशा की तरफ मुंह किया हुआ। उत्ताल देखो उत्ताड । उत्तरिज ) न [उत्तरीय] चादर, दुपट्टा। | उत्तावल न [दे] उतावल, शीघ्रता। वि. उत्तरिय ।
शीघ्रकारी, आकुल। उत्तरिय वि [औत्तरिक, अंतराह] देखो। उत्तास सक [उत् + त्रासय्] भयभीत करना।
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