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षषण।
उग्घडिअ-उच्चय
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उग्घडिअ वि [उद्घाटित] खुला हुआ। छिन्न, कर जाहिर करना । नष्ट किया हुआ।
उग्घोसिय वि [माजित] साफ किया हुआ । उग्घर वि[उद्गृह]गृह-त्यागी, संन्यासी, साधु । उघूण वि [दे] पूर्ण, भरपूर।। उग्घव देखो अग्धव ।
उचिय वि [उचित] योग्य, अनुरूप । °ण्णु उग्घसिय न [अवघर्षित] घर्षण ।
वि [°ज्ञ] विवेकी। उग्धाअ पुं [दे] समूह, सङ्घात । स्थपुट, | उच्च न [दे] नाभि-तल । विषमोन्नत प्रदेश।
उच्च वि [उच्च, उच्चैस्] ऊँचा। उत्तम, उग्घाअ पुं [उद्घात] आरम्भ । प्रतिघात उत्कृष्ट । °च्छंद वि [°च्छन्दस्] स्वेच्छाठोकर लगना। लघूकरण, भाग-पात । चारी । °त्त न [°त्व] ऊँचाई । उत्तमता । उपोद्घात । ह्रास । न. प्रायश्चित्त-विशेष । °त्तभयग, त्तभयय पुं [त्वभृतक] जिससे निशीथ सूत्र का एक अंश, जिसमें उक्त समय और वेतन का इकरार कर यथासमय प्रायश्चित्त का वर्णन है।
नियत काम लिया जाय वह नौकर । उग्घाअ सक [उद् + घातय] विनाश करना । °त्तरिया स्त्री [तरिका] लिपि-विशेष । उग्घाइम वि [ उद्घातिम ] लघु, छोटा । त्थवणय न ["स्थापनक] लम्बगोलाकार न. लघु प्रायश्चित्त।
वस्तु-विशेष । °वचिआ स्त्री [°वचिका] उग्घाइय वि [उद्घातित] विनाशित । न.
ऊँचा-नीचा करना, जैसे-तैसे रखना । °वाय लघु प्रायश्चित्त । लघु प्रायश्चित्त वाला। पुं [°वाद] श्लाघा । देखो उच्चा। उग्घाइय न [उद्घातिक] लघ प्रायश्चित्त। उच्चइअ वि [उच्चयित] एकत्रीकृत । उग्घाड सक उद् + घाटय] खोलना । प्रकट / उच्चडिय वि [६] ऊंचा चढ़ाया हुआ। करना । बाहर करना ।
उच्चंतय पुं [उच्चन्तग] दन्त-रोग । उग्घाड [उद्घाट]प्रकट । वि.अनाच्छादित। उच्चपिअ वि दे] दीर्घ, लम्बा। आक्रान्त,
थोड़ा बन्द किया हुआ । परिपूर्ण, अन्यून। दबाया हुआ, रौंदा हुआ। उग्घायण न [उद्घातन] नाश, विनाश । उच्चड्डिअ वि [दे] ऊंचा फेंका हुआ। पूज्य-स्थान, उत्तम जगह । सरोवर में जाने। उच्चत्त वि [उत्त्यक्त] पतित, त्यक्त । का मार्ग।
उच्चत्तवरत्त न [दे] दोनों तरफ का स्थूल उग्घार पुं [उद्घार] सिञ्चन ।
भाग । अनियमित भ्रमण, अव्यवस्थित विवउग्घिट्ट ) वि [उद्धृष्ट] संघृष्ट ।
र्तन । दोनों तरफ से ऊँचा-नीचा करना। उग्घुटु ।
उच्चत्थ वि [दे] दृढ़, मजबूत । उग्घुटु वि [उ ष्ट] घोषित, उद्घोषित ।। उच्चदिअ वि [दे] चुराया हुआ । उग्घुट्ठ वि [दे] उत्प्रोञ्छित, लुप्त, दूरीकृत, उच्चप्प वि [दे] आरूढ़ । विनाशित ।
उच्चय सक [उत् + त्यज्] छोड़ देना । उग्घुस सक [मृज्] साफ करना।
उच्चय पुं. समूह, राशि । ऊँचा ढेर करना । उग्घुस सक [उद् + घुष्] देखो उग्घोस । नीवी, स्त्री के कटी-वस्त्र की नाड़ी । °बंध उग्घोस सक [उद् + घोषय] घोषणा करना, पुं [°बन्ध] बन्ध-विशेष, ऊपर-ऊपर रख ढिंढोरा पिटवाना, जाहिर करना ।
कर चीजों को बाँधना। उग्घोसणा स्त्री [उद्घोषणा] ढिंढोरा पिटवा- उच्चय पृ [अवचय] इकट्ठा करना ।
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