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उक्कुरुडी )
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संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष उक्कुडुग-उक्खंभिय उक्कुडुग , वि [उत्कुटुक] आसन-विशेष, उक्कोल पुं [दे] धूप, गरमी। उक्कुडुय । निषद्या-विशेष । °ासणिय वि उक्कोवण न [उक्कोपन] उद्दीपन, उत्तेजन । [°ासनिक] उत्कुटुक-आसन से स्थित । उक्कोविअ वि [उत्कोपित] अत्यन्त क्रुद्ध उक्कुद्द अक [उत् + कुद्] कूदना, उछलना। किया हुआ। उक्कुरुआ देखो उक्कुरुडिया। | उक्कोस सक [उत् + क्रुश्] रोना, चिल्लाना। उक्कुरुड पुं. देखो उक्कुरुडी।
तिरस्कार करना। उक्कुरुड पुं [दे] राशि, ढेर ।
उक्कोस वि [उत्कर्ष] उत्कृष्ट, मुख्य । उक्कुरुडिगा , स्त्री [दे] धूरा, कूड़ा डालने उक्कोस पुं [उत्कर्ष] प्रकर्ष, अतिशय । गर्व । उक्कुरुडिया की जगह ।
उक्कोस वि [उत्कृष्ट] उत्कृष्ट, अधिक से
अधिक । उक्कुस सक [गम्] जाना, गमन करना । उक्कोस पुं[उत्क्रोश] कुरर । वि. जोर से उक्कुस वि [उत्कृष्ट] उत्तम, श्रेष्ठ ।
चिल्लानेवाला। उक्कूइय न [उत्कूजित] अव्यक्त महा-ध्वनि । उक्कोसण न [उत्क्रोशन] क्रन्दन । निर्भर्त्सन, उक्कूल वि [उत्कूल] सन्मार्ग से भ्रष्ट करने तिरस्कार । वाला । किनारे से बाहर का । न. चोरी। उक्कोसा स्त्री [उत्कोशा] कोशानामक एक उक्कूब अक [उत् + कूज्] चिल्लाना । प्रसिद्ध वेश्या। उक्केर पुं [उत्कर] राशि, ढेर । करण-विशेष, | उक्कोसिअ पुं [उत्कौशिक] गोत्र-विशेष का कर्मों की स्थित्यादि को बढ़ाना । भिन्न, एरण्ड
दि को बढाना । भिन्न, एरण्ड प्रवर्तक एक ऋषि । न, गोत्र-विशेष । के बीज की तरह जो अलग किया गया हो। उक्कोसिअ वि [दे] पुरस्कृत,आगे किया हुआ। वह।
उक्कोसिया स्त्री [उत्कृष्टि] उत्कर्ष, आधिक्य । उक्केर पुं [दे] उपहार।
उक्कोस्स देखो उक्कोस = उत्कृष्ट । उक्केल्लाविय वि [दे] उकेलाया हुआ, खुल- उक्ख सक [ उक्ष् ] सींचना । वाया हुआ।
उक्ख [ उक्ष ] सम्बन्ध । जैन साध्वियों के उक्कोट्टिय वि [दे] अवरोध-रहित किया हुआ, __ पहनने के वस्त्र-विशेष का एक अंश । घेरा उठाया हुआ।
उक्ख देखो उच्छ = उक्षन् । उक्कोड न [दे] राजा आदि को दिया जाता उक्खइअ वि [उत्खचित] व्याप्त, भरा हुआ । उपहार ।
उक्खंड सक [उत् + खण्डय] तोड़ना, टुकड़ा उक्कोडा स्त्री [दे] रिश्वत ।
करना। उक्कोडिय वि [दे] घूसखोर ।
उक्खंड पुं [दे] सङ्घात, समूह । स्थपुट, विषउक्कोडी स्त्री [दे] प्रतिध्वनि ।
मोन्नत प्रदेश । उक्कोय वि [उत्कोप] प्रखर, उत्कट । उक्खंडण न [उत्खण्डन] उत्कर्तन, विच्छेदन । उक्कोयण देखो उक्कोवण ।
उक्खंडिअ वि [दे] आक्रान्त, दबाया हुआ । उक्कोया स्त्री [उत्कोचा] रिश्वत । मूर्ख को | उक्खंद पुं. [अवस्कन्द] घेरा डालना । छल ठगने में प्रवृत्त धूर्त पुरुष का, समीपस्थ से शत्रु-सैन्य को मारना । विचक्षण पुरुष के भय से थोड़ी देर के लिए उक्खंभ पुं [उत्तम्भ] अवलम्ब, सहारा । अपने कार्य को स्थगित करना।
उक्खंभिय देखो उत्थंभिय ।
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