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आसी-आहम्मिअ संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष
१२७ आसी स्त्री [आशी] दाढ़ा । विस पुं[विष] आसेवणया) स्त्री [आसेवना] परिपालन, जहरीला साँप । पर्वत-विशेष का एक शिखर। आसेवणा विपरीत आचरण । अभ्यास । निग्रह और अनुग्रह करने में समर्थ, लब्धि- शिक्षा का एक भेद । विशेष को प्राप्त ।
आसेविय वि आसेवित] परिपालित । आसी स्त्री [आशिष] आशीर्वाद । °वयण न अभ्यस्त । आचरित । अनुष्ठित । [°वचन] आशीर्वाद । °वाय पुं [°वाद] आसोअ पुं [अश्वयुक्] आश्विन मास । आशीर्वाद ।
आसोअ वि [आशोक] अशोक वृक्ष-सम्बन्धी । आसीण वि [आसीन] बैठा हुआ।
आसोइया स्त्री दे. आसोतिका] ओषधिआसीवअ पुं [दे] दरजी।
विशेष । आसीसा देखो आसी = आशिष् । आसोई । स्त्री [आश्वयुजी] आश्विन मास आसु पुन [अश्रु] आँसू ।
आसोया की पूर्णिमा । आश्विन मास की आसु । अ [आशु] शीघ्र। क्कार पुं| अमावस । आसं कार] हिंसा, मारना। मरने का आसोकंता स्त्री [आशोकान्ता] मध्यम ग्राम कारण । शीघ्र उपस्थित । °पण्ण वि [प्रज्ञ] | की एक मूर्च्छना। शीघ्र-बुद्धि । दिव्य-ज्ञानी, केवल-ज्ञानी। आसोत्थ पुं [अश्वत्थ] पीपल का पेड़ । आसुर वि. असुर-सम्बन्धी।
| आह सक [ ] कहना । आसुरत्त न [आसुरत्व] गुस्सा ।
आह सक [काङ्क्ष] इच्छा करना । आसूरिय पुं [आसुरिक] असुर, असुर रूप से | आहंडल देखो आखंडल । उत्पन्न । वि. असुर-सम्बन्धी।।
आहच्च न [दे] अत्यर्थ, बहुत । अ. शीघ्र । आसुरीय पुं [असुरीय] असुर-सम्बन्धी।
कदाचित् । उपस्थित होकर । व्यवस्था कर । आसुरुत्त वि [आशुरुप्त] शीघ्र-क्रुद्ध । अति | विभक्त कर । छीन कर । अन्यथा। निष्काकुपित ।
रण । भाव पुं. कादाचित्कता । आसुरुत्त वि [आसुरोक्त] अति-कुपित ।
आहवा स्त्री [आहत्या] प्रहार । आसुरुत्त वि [आशुरुष्ट] अति-कुपित ।
आहट्ट न दे] देखो आह? = दे । आसूणि न [आशूनिन्] बलिष्ठ-बनानेवाली आह? स्त्री [दे] पहेलियाँ। खुराक । रसायन-क्रिया।
आहड [आहृत] छीन लिया हुआ। चोरी आसूणी स्त्री [आशूनी] प्रशंसा ।
किया हुआ। सामने लाया हुआ, उपस्थापित । आसूणिय वि [आशू नित] थोड़ा स्थूल किया
| आहड न [दे] सुरत-शब्द । हुआ।
| आहण सक [आ-हिन्] आघात करना, आसूय न [दे] मनौती।
मारना। आसेअणय वि [आसेचनक] जिसको देखने से | आहण सक [आ + हन्] उठाना । मन को तृप्ति न होती हो वह ।
आहत्तहीय न [याथातथ्य] वास्तविकता । आसेव सक [आ+सेव्] सेवना। पालना। तथ्य-मार्ग-सम्यग्ज्ञान आदि । 'सूत्रकृताङ्ग' आचरना।
सूत्र का तेरहवां अध्ययन । आसेवण न [आसेवन] परिपालन, संरक्षण । | आहम्म सक [आ + हम्म्] आगमन करना । आचरण । मैथुन ।
आहम्मिअ वि [अधार्मिक] अधर्म सम्बन्धी।
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