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अलि
संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष - आलिंग-आलोअ आलिंग सक [आ + लिङ्ग] आलिङ्गन , आली स्त्री. पंक्ति, श्रेणी। सखी। वनस्पतिकरना।
विशेष । आलिंग पुं [आलिङ्ग] वाद्य-विशेष । आलीढ वि [आलीढ] आसक्त । न. आसनआलिंग वि [आलिङ्ग्य] आलिङ्गन करने | विशेष । योग्य । पुं. वाद्य-विशेष ।
आलीढ पुन. योद्धा का युद्ध समय का आसनआलिंगण न [आलिङ्गन आलिंगन, भेंट । | विशेष ।
वट्टि स्त्री [°वृत्ति] गाल या कपोल का आलाण वि [आलीन लीन, आसक्त, तत्पर । उपधान-तकिया, शरीर-प्रमाण उपधान । आलिंगणिया स्त्री [आलिङ्गनिका] देखो | आलीयग वि [आदीपक जलानेवाला, आग आलिंगणवट्टि।
सुलगानेवाला। आलिंगिणी स्त्री [आलिङ्गिनी] जानु आदि
आलील न [दे] समीप का भय । के नीचे रखने का तकिया ।
आलीवग देखो आलीयग । आलिंद पुं [आलिन्द] बाहर के दरवाजे के
आलीवण न [आदोपन] आग लगाना । चौकटे का एक हिस्सा ।
आलीविय वि [आदोपित] आग से जलाया
। हुआ। आलिंप सक [आ + लिप्] पोतना, लेप
आलु पुन. कन्द विशेष । करना। आलिंपण न [आलेपण] लेप करना, विले
आलुई स्त्री [आलुको] वल्ली विशेष ।
आलुंख सक [दह] जलाना, दाह देना । पन । जिसका लेप होता है वह चीज ।
आलुंख सक [स्पृश्] छूना । आलिगा देखो आवलिआ। आलित्त न [आलित्र] जहाज चलाने का काष्ठ
आलुंघ सक [स्पृश्] छूना । विशेष ।
| आलुंप सक [आ +लुम्प्] हरण करना। आलित्त वि [आलिप्त] खरण्टित, खरड़ा
आलुप वि. अपहारक। हुआ । लिपा हुआ।
आलुगा स्त्री [दे] घटी, छोटा घड़ा। आलित्त वि [आदीप्त] चारों ओर से जला | आलुयार वि [दे] निरर्थक, व्यर्थ । हुआ । न. आग लगनी, आग से जलना।। आलेक्ख । वि [आलेख्य] चित्रित । आलिद्ध वि [आश्लिष्ट] आलिंगित ।
आलेक्खिय। आलिद्ध वि [आलीढ] आस्वादित । आलेलृ । आसिलिस का हेकृ. । आलिसंदग पुं [दे. आलिसन्दक] धान्य- आले/अं। विशेष ।
आलेव पुं [आलेप] विलेपन, लेप । आलिसिंदय पुं[दे.आलिसिन्दक] ऊपर देखो। आलेसिय वि [आश्लेषित] आलिंगन कराया आलिह सक [स्पृश्] छूना । आलिह सक [आ + लिख्] विन्यास करना, | आलेह पुं [आलेख] चित्र । स्थापन करना। चित्र करना, चितरना या | आलोअ सक [आ + लोक] देखना, विलोकन चित्र बनाना।
करना। आली सक [आ + ली] लीन होना, आसक्त | आलोअ सक [आ+लोच] देखाना। गुरू होना । आलिंगन करना । निवास करना। | को अपना अपराध कह देना। विचार
हुआ।
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