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अहोरण-आइअंतिय संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष निसि न [°निश] गत और दिन, दिन- प्रधान अनुष्ठान-विशेष । 'राइंदिय न रात । रत्त पुं [ रात्र] दिन और रात्रि [रात्रिन्दिव] दिनरात ।। परिमित काल, आठ प्रहर। चार-प्रहर का | अहोरण न [दे] उत्तरीय वस्त्र, चादर । समय । °राइया स्त्री [रात्रिकी] ध्यान
आ
आ पुं [आ] प्राकृत वर्णमाला का द्वितीय स्वर- आअत्ति देखो आयइ । वर्ण। इन अर्थों का सूचक अव्यय--अ. | आअद देखो आगय । मर्यादा, सीमा । अभिविधि, व्याप्ति । थोड़ा- आअम देखो आगम । पन, चारों ओर। अधिकता, विशेषता। स्मरण। | आअर सक [आ + द] आदर करना, सत्कार . आश्चर्य । क्रियाशब्द के योग में अर्थविस्तृति | करना। और विपर्यय । वाक्य की शोभा के लिए | आअर न दे] ऊखल । कूर्च । भी इसका प्रयोग होता है । पादपूर्ति में प्रयुक्त
आअल्ल पुं [दे] रोग । वि. चंचल । देखो किया जाता अव्यय ।
आयल्लया। आ अ. नीचे।
आअल्लि । स्त्री [दे] झाड़ी, लताओं से आ अ. [आस्] इन अर्थों का सूचक अव्यय
आअल्ली ) निबिड प्रदेश । खेद । दुःख । गुस्सा।
आअव्व अक [वे काँपना । आ सक [या] जाना।
आआमि देखो आगामि । आअ वि [दे] बहुत । लम्बा । विषम, कठिन । आआस देखो आयंस। न. लोहा । मुसल ।
आइ सक [अ + दा] ग्रहण करना, लेना। आअ वि [आगत] आया हुआ ।
आइ पुं [आदि] प्रथम । प्रभृति । समीप । आअअ वि [आगत] आया हुआ। . प्रकार, भेद । अवयव, अंश । प्रधान, मुख्य । आअअ वि [आयत] लम्बा, विस्तीर्ण । उत्पत्ति । संसार । 'गर वि [ कर] आदि आअंछ सक [कृष्] खींचना । जोतना, चास प्रवर्तक । पुं. भगवान् ऋषभदेव । 'गुण पुं. करना । रेखा करना।
सहभावी गुण । °णाह पुं [°नाथ] भगवान् आअंतुअ देखो आगंतुय ।
ऋषभदेव । °तित्थियर पुं [तीर्थंकर] आअंब वि [आताम्र] थोड़ा लाल ।
भगवान् ऋषभदेव । °देव पुं. भगवान् ऋषभ°आअंब पुं [कादम्ब] हंस ।
देव । °म पुं. प्रथम । मूल न. मुख्य कारण । आअक्ख सक [आ + चक्ष्] कहना, बोलना, | °मोक्ख पुं [°मोक्ष] संसार से छुटकारा, उपदेश करना ।
मोक्ष । शीघ्र ही मुक्त होने वाली आत्मा। आअच्छ देखो आगच्छ ।
राय पुं [°राज] भगवान् ऋषभदेव । आअडु अक [दे] परवश होकर चलना। वराह पुं. कृष्ण, नारायण । आअड अक [व्या + प्र] काम में लगना । आइ वि [आदिन] खानेवाला । आअड्डिअ वि [दे] दूसरे की प्रेरणा से चला | आइ स्त्री [आजि] मंग्राम । हुआ।
आइअंतिय देखो अच्चंतिय ।
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