SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 112
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ असोगा-अस्सासण संक्षिप्त प्राकृत-हिन्दी कोष विन] अशोक वृक्षों वाला वन । 'वणिया | अस्स न [अस्र आँसू । रुधिर । स्त्री [°वनिका] अशोक वृक्ष वाला बगीचा। | अस्संख वि [असंख्य संख्या रहित । "सिरि पुं [°श्री] इस नाम का एके प्रख्यात | अस्संगिअ वि दे] आसक्त । राजा, सम्राट अशोक । अस्संघयणि वि [असंहननिन्] संहनन-रहित, असोगा स्त्री [अशोका] इस नाम की एक किसी प्रकार के शारीरिक बन्ध से रहित । इन्द्राणी। भगवान् श्री शीतलनाथ की शासन- अस्संजम देखो असंजम । देवी । एक नगरी का नाम । अस्संजय वि [अस्वयत] गुरु की आज्ञानुसार असोय देखो असोग। चलनेवाला, अस्वच्छंदी। असोय पुं [ अश्वयुक् ] आश्विन मास ।। अस्संजय देखो असंजय। असोय वि [अशौच] शौचरहित । न. शौच अस्संदम पुं [अश्वन्दम] अश्व-पालक । का अभाव । वाइ नि ["वादिन] अशीच अस्सच्च देखो असच्च । का ही माननेवाला । अस्सण्णि देखो असण्णि । असोयणया स्त्री [अशोचनता, शोक का | अस्सत्थ पुंअश्वत्थ वृक्ष-विशेष, पीपल । अभाव। अस्सत्थ वि [अस्वस्थ] रोगी, बीमार । । असोया देखो असोगा। अस्सन्नि देखो असण्णि। असोल्लिय वि [अपक कच्चा । अस्सम पुं [आश्रम स्थान, जगह । ऋषियों असोहि स्त्री [अशोधि] अशुद्धि । विराधना । का स्थान । °ठाण न ['स्थान पाप-कर्म । अशुद्धि स्थान। अस्समिअ वि [अश्रमित] श्रमरहित, अनदुर्जन का संसर्ग । अनायतन । भ्यासी। अस्स न [आस्य मुख । अस्सवार देखो असवार । अस्स वि अस्व निर्धन । निर्ग्रन्थ, साधु, | अस्सस अक [आ+ श्वस्] आश्वासन लेना। मुनि । अस्साइय वि [आस्वादित] जिसका आस्वादन अस्स पुं [अश्व] घोड़ा। अश्विनी नक्षत्र का | किया गया हो वह । अधिष्ठायक देव। ऋषि-विशेष । °कण्ण पुं अस्साद सक [ आ + सादय् प्राप्त करना । [कणं। एक अन्तर्वीप। इन अन्तर्वीप का | अस्साद सक [आ + स्वादय]आस्वादन करना । निवासी । °कण्णी स्त्री [°कर्णी वनस्पति- | अस्सादण देखो अस्सायण । विशेष । करण न. जहाँ घोड़ा रखने में आता | अस्साय देखो अस्साद = आ + सादय् । हो वह स्थान, अस्तबल । 'ग्गीव पुं [ग्रीव] | अस्साय देखो अस्साद = आ + स्वादय । पहले प्रतिवासुदेव का नाम । तर पुंस्त्री. | अस्साय देखी असाय। खच्चड़ । मुह ( [°मुख] इस नाम का एक अस्सायण पुं [आश्वायन] अश्व ऋषि की अन्तर्वीप और उसके निवासी। °मेह पुं| संतान । अश्विनी नक्षत्र का गोत्र । [ मेघ] यज्ञ-विशेष, जिसमें अश्व मारा जाता | अस्सावि वि [आस्राविन्] झरता हुआ, है। °सेण पुं [°सेन] एक प्रसिद्ध राजा, भग- | टपकता हुआ, सच्छिद्र । वान् पार्श्वनाथ का पिता। एक महाग्रह का | अस्सास सक [आ + श्वासय] आश्वासन देना, नाम । यर पुं दर] विद्याधर वंश के एक दिलासा देना। राजा का नाम । अस्सासण [आश्वासन] एक महाग्रह । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016020
Book TitlePrakrit Hindi kosha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1987
Total Pages910
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy