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पश्रोग ]
of & matter through a conjunc tion of the mind, speech and body. भग० १, ३; २, ५, ८, १, नाया ० १२, पन० १६; क० प० १, २३० – गइ.
स्त्री० (-गति) पं६२ योगोनी गति प्रवृत्ति. पन्द्रह योगों की गति-प्रवृत्ति the acti vity of the Yoga (concentration) of 15 kinds. भग० ८७ पन्न १६: -- पश्चयग. पुं० ( - प्रत्ययक ) योग ર્નામત્ત રૂપ, સ્ટ્સ વિભાગની વગ ણાને समृद्ध योग निमित्त रूप, रस अविभाग की वर्गणा का समूह. an aggregate of the order of indivisible form, taste, etc. for the sake of Yoga. क०५० १,२३, परिणाम. पुं० ( - परिक्षाम ) योग द्वारा परिणमेस युद्धस. यांग द्वारा परिणत पुगल. an atom matured by Yoga. भग● 5, १९ - बंध. पुं० (बन्ध) कवना प्रयोगथी થતા जन्ध जीव के प्रयोग से होने वाला बन्ध. А bondage due to the activity of soul. 30 ३, 3; भग० ८, ६ १८, ३: २०, ७ -मरण. न० (-मरण ) नियाणु री भरवु ते, नियाणु करके मृत्युपाना, नियाण मरण. dying after making a pros pective resolution. प्रव० २६६; -वासला. स्त्री० (-विलासा ) युगसने प्रयोग भने स्वाभावि मन्ध. पुद्गल का प्रयोग व स्वाभाविक बन्ध the activity of an atom and its natural bond. नाया० १२: भग० १८, ३ - संपया स्त्री० ( - संपत् ) प्रष्ट योग रूपी संपत्-संपत्ति. प्रकृष्ट योगरूपी संपत्ति, wealth consist ing of a good Yoga ( concentration ) दसा० ४ ७; ८; ६;
Vol. 1/47.
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[ पोहर
पश्रोगपद. पुं० ( प्रयोगपद ) अज्ञापन सूत्रां सोणमा पनु नाम प्रज्ञापना सूत्र के सोलहवें पद का नाम. Name of the 16th Pada of Prajñapana Sūtra. भग०
३६६ )
८, ७; १५, १;
पत्रोगमइ. स्त्री० ( प्रयोगमति ) वाह विवाह પ્રસ ંગે માંતને તક રૂપે ઉપયોગ કરવા તે. वाद विवाद के अवसर पर बुद्धि का तर्क रूप में प्रयोग करना. The logical use of intellect at the time of discussion. प्रव॰ ५४६; - संपया. स्त्री० (-संपत् ) हि प्रसंगे भतिनी स्कूर्ति थाय તે; આચાય ની ચોંસઠ સંપદામાંની એક. वाद विवाद के अवसरपर होने वाली मति की स्फुरणा; आचार्य की चौंसठ संपदाओं में से एक संपदा. the flash of intelligence at the time of discussion; one of the 64,rich possessions of a preceptor. दसा० ४, ५३: प्रव• ५४३; पनोद पुं० ( प्रतोद ) यामु चाबुक & whip; (२) साडी. लकडी. & stick. ओव• ३०;
पोस. पुं० ( प्रद्वेष ) द्वेषः छर्ष्या; यहे पार्थः २. द्वेषः ईर्ष्या जलन; बैर. Hatred; jealousy; enmity. ठा० ४, ४ उत्त• ३२, २६; ३४, २३; सु० च० २ १३८; विशे० ३००६; प्रव० ६४७; क० गं० १, ५४; पिं० नि० ३६१: पंचा० ३, ४८; पोस. पुं० ( प्रदोष ) रात्रिना पडेलो लाग; सांना समय रात्रि का प्रथम भाग; संध्या काल. The first part of a night; evening time. उत्त० २६, १९; ठा० ४,२; पंचा० २, २३;
qЯiec. g• (qârate) zad; uidÀı, eaa; थन. The breast. सु० च० १, ३०४; जं० प०
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