________________
दीवण ]
ते. इस नामका एक प्रकार का समकित स्वतः तत्व श्रद्धान् से शून्य होते हुए दूसरों को उपदेश देकर तत्व के प्रति श्रद्धान उत्पन्न करावें. A kind of faith; creating in others faith towards precepts though he himself is ignorant of them. विशे० २६७५; दीवण न० ( दीपन ) प्राश १२वे; भागમનાદિ પ્રત્યેાજનને આવિર્ભાવ કરવે તે. प्रकाश करना आगमनादि प्रयोजन का आविर्भाव करना. Throwing light upon; illuminating. पंचा० १२, ६, ओघ • नि० ७०; वेय० १, २; दीवणा स्त्री. ( दपिना) प्रकाश २ते. प्रकाश
करना. Illuminating. पंचा० १, ४८; दीवणिज त्रि० ( दीपनीय ) हरामिने वधारनार (पोरा ). जठराग्नि बढ़ाने वाली ( खुराक ). Appetising or hunger stimulating (diet ). पन्न० १७; जं०प० ठा० ६, ४; नाया० १२; जीवा० ३,४, कप्प० ४, ६१;
दीवय. पुं० ( द्वीपक ) ही पडे।; यित्री. चीता.
A leopard. जीवा ० १ ३, १; दीवमंत. त्रि. (दव्यत्) २भते. खेलता हुआ;
रममाण. Playing. सू० १, २,२, २३; दीवर. पुं० ( दीवर ) से नामनी खेड लतनी વનસ્પતિ. इस नामकी एक जात की वनस्पति. A vegetation of this name.
पन० १;
दीवसमुद्रदुद्दस. न॰ (द्वपिसमुद्देश) ये नाभने। वाभिगम सूत्र : हे. इस नामका जीवाभिगम सूत्र का एक उद्देशा. A sec. tion of the Jiväbhigama Sūtra of this name. जं० प०५, ११७; भग० १६, ६,
दीवसागरपनति. स्त्री० ( द्वीपसागरप्रज्ञप्ति )
Jain Education International
( १७४ )
[ दीवाण
name
જેમાં દ્વીપ સાગરને અધિકાર છે એવું એક असि सूत्र एकका कालिक सूत्र जिसमें द्वाप सागरका वर्णन है. A kind of Kalika Sūtra which describes Dvipa Sāgara. ठा०३, १४, १ नंदी ०४३; दीवसिह. पुं० ( दीपारीख ) ४६५ वृक्षनी खेड व्जत. कल्पवृक्ष की एक जात. A species of the celestial trees. जीत्रा० ३,३९ ( २ ) श्रह्महत यवतींनी स्त्री नाम. ब्रह्मदत्त चक्रवती की स्त्री का नाम. of the wife of Brahmadatta Chakravarti. उत्त० टी० १३, १; दीवायण. पुं० ( द्वैपायन ) मे नामना खेड મહર્ષિ` કે જે યાદવ કુમારેની મશ્કરીથી કુપિત થઈ નિયાણું કરી અગ્નિ કુમાર દેવતામાં ઉ ાન્ન થયા અને દ્વારિકા નગરીને माली लस्भरी इस नाम के एक महार्ष जिन्होंने यादव कुमारों की हंसी - दिल्लगी के कारण गुस्सा होकर नियाणा कर अग्निकुमार देवता में उत्पन्न होकर द्वारिकापुरी को जलाकर भस्म कर डाली. A great sage of this name who being enraged at the jokes of the Yadava Kumāras took birth in Agni Kumaradevata through a resolve for future birth and burnt to ashes the city of Dvārikā. अंत०५, १ सूय० १, ३, ४, ३; (२) भरत अंडमां थनार वीसमां तीर्थअरना पूर्व भवनं नाम भरतखंड में होने वाले बीसवें तीर्थंकर के पूर्व भव का नाम. name of the past life of the 20th would-be Tirthankara in Bharatakhanda. सम० १०२४१; - जीव. पुं० (- जीव) द्वीपायनना 4. द्वीपायन का जीव. the soul of
For Private
Personal Use Only
www.jainelibrary.org