________________
श्राइ ]
धर्माचारादि सन्धात्मकं कर्म करोति तदर्थ प्रणायकत्वेन प्रणयतीत्येवंशीलः ) महि શરૂ આપતમાં આચારાંગ આદિ શ્રુત ધર્મના ३२नार, तीर्थ:२. आचारांगादि श्रुत धर्म के रचयित', तीर्थंकर the first author of Achãrãnga etc.; a Tirthankara. "ते सन्वे पायाउया श्राइगरा धम्मासूय०२, २, ४१; कप० २, १५; नाया० ध० भग० १, १, नाया० १, १६; सम० १;
- तित्थयर. पुं० (- तीर्थकर ) ऋपलहेव स्वाभी. ऋषभदेव स्वामी. Risabhadova Swami " भगवश्रो उस्सह सामिस्स
श्रइतित्थयरस्स " नंदी ● दुग. न० (- द्विक ) या सूक्ष्म ने हर थोडेंद्रिय रूप से अमृति अपर्याप्त सूक्ष्म और बादर एकेन्द्रियरूप दो प्रकृतियां the two Karmic natures ( Prakritis) viz Aparyāpta Sūkṣhma and Badara Ekendriya. क० प० १, १५; - मउ. त्रि० (- मृदु ) आरंभा भव प्रारंभ में कोमल. soft in the beginning. अणुजो० १२८; मुहुप्त. न० (- मुहूर्त ) प्रथम मुहूर्त सूर्य या पछी घडी सुधीन समय. प्रथम मुहूर्त ; सूर्योदय के बाद का दो घडी का समय the first Muhūrta; the first period of 48 minutes after sunrise. 1 Muhūrta=48 minutes ==2 Gha - dis. “ श्रभितरश्रो थाइ मुहूत्ते छरण उइ गुलच्छा पराणते " सम० - - मोक्ख. पुं० ( - मोक्ष - श्रादिः संसारस्तस्मान्मोक्षः श्रादि मोक्षः ) माहि- संसारथी छुटमा थोते. ससार से छुटकारा-मुक्त होना. emancipation from worldly existence. इत्थि जेण सेवंति श्रइ मोक्खाहिते
"
<
( २ )
Jain Education International
For Private
"
जणा सूय० १, १, २२३ – राय. पुं० ( - राज ) ऋपलहेब प्रभु मेरो साथी પહેલાં રાજ્યની સ્થાપના કરી ઓંસ, મસિ, कृषि भूमिया अवती ऋषभ
देव, जिन्होंने सब से पहिले राज्यकी स्थापना की और असि, मसि, कृषि आदि वाणिज्य रूप कर्म - भूमिपन का प्रारंभ किया. Lord Risabhadeva who first started the institution of a kingdom ( government ) and established the military, the literary and the agricultural departments. ठा ६; - लेसतिग. न. ( - लेश्यात्रिक ) શરૂઆતની ત્રણ લેશ્યા; કૃષ્ણે નીલ અને अपोत लेश्या. प्रारम्भ की तीन लेश्याएं; कृष्ण, नाल और कापोत. the first three Lesyäs, i. e. thought and matter tints viz black, blue and grey. क० गं० ३,२२, - संघयण. न० ( - संहनन) प्रथमनुं संध्या पर,ऋषल, नाराय संघयणु. प्रथम का संहनन, वज्र, ऋषभ, नाराच. the first or primitive physical constitution called Vajra Risabha Närächa Sanghayana (i. e. adamantine character of the bones etc.) क० गं० २, २१; श्रअंतियमरण न० ( श्रात्यन्तिकमरण ) દેડુ અને જીવ અત્યંત જુદા પડે તે; મૃત્યુ. जीव और शरीर का सर्वथा पृथक होना; मृत्यु. Death; total separation of soul from body. भग० १२, ६; प्रव० १०२३; आई. अ० ( आई ) वास्या २. वाक्यालंकार.
[ श्रारंखिणी
An expletive. भग० १५, १; इंखिणी. स्त्री० ( श्री चक्षणा ) पिशा
Personal Use Only
www.jainelibrary.org