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पुच्छिन-थ
( ३०८ )
पुच्छि - य. त्रि० (पृष्ट) पुछ्या विनाने; नेयुछवामां नथी भाव्यं ते. बिना पूछा हुआ. .Unasked. “अपुच्छिश्रो न भासिज्जा, भासमाणस्स अंतरा " दस० ८, ४७; अपुच्छिय. सं० कृ० अ० (*श्रपृष्ट्वा) पुछ्या विना; अणुपुछे बिना पूछे ; न पूछकर. Unasked निसी० २,४५, ६, ७, १५, ३४;
चपुढ. त्रि० ( अपुष्ट ) पुष्ट नहि, हुर्भक्ष. दुर्बल; कमज़ोर; कृश. Not robust; weak. सू० १, १४, ३;
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अपुट्ट. त्रि० ( श्रपृष्ट ) भेने पुछ्युं नथी ते; पुछ्यामां न आवेअ. बिना पूछा हुआ. Unasked, “पुट्ठो वात्रि अपुट्ठो वा लाभालाभं न निडिसे दस० ८ २२; उत्त० १, १४; भग० ३, १; - लाभिश्र. पुं० (-लाभिक ) શું આપું?’ એમ પુછ્યા વિના ભિક્ષા આપે ते क्षेत्री व अलि धरनार साधु 'क्या दूँ ?" ऐसा पूछे बिना जो भिक्षा दे वह भिक्षा लेने का अभिग्रह - नियम धारण करने वाला साधु. an ascetic taking only those alms which are not preceded by the question " What may I give you ? " श्रव० १६; - वागरण. न० (व्याकरण) पुछ्यामां नायुं होय छतां प्रतिपाहते. बिना पूछे प्रतिपादन करना explaining a thing that is not asked. " एवं सव्वं श्रपुटुवागरणं नेयव्वं " भग० ३, १;
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नथी ते. जिसका धर्म बलहीन है वह; जिसने धर्म का स्पर्श न किया हो वह. (one ) of feeble religion; (one) untouched by religion. " एवं नु सेहे विभधम्मे, धम्मं न यारणाइ अबुज्झमाणे " सूर्य० १, १४, १३;
[ श्रणुणबंधय
अपुण. श्र० ( पुनर् ) श्री नहि. फिर नहीं. Not over again. पंचा० १२, ११; अपुणकरण. न० ( अपुनःकरण ) श्रीने न ४२ ते. फिर से न करना. Not doing over again. पंचा० १५, २८;
अपूणकरणसंगय. त्रि० ( अपुनःकरणसङ्गतपुनरिदं मिथ्याचरणं न करिष्यामीत्येवं निश्वयान्वितः ) ने आयरन मेवा निश्रयवा ' फिर से ऐसा आचरण नहीं करूंगा' ऐसा निश्चय करने वाला. Resolving not to do a particular act again. पंचा० १२, ११; अपुचव. पुं० ( अपुनश्च्यव - म पुनश्च्यवनं च्यवोsपुनश्च्यवः ) देवताभांथी यवीने तियंय આદિમાં ઉત્પન્ન ન થવું તે; કરીને ચવવાને - भरवाना लाव. देवयोनि से च्युत होकर देव शरीर को छोड़कर तिर्यच आदि गतियों में उत्पन्न न होना; फिर से मरने का अभाव. Not being born among animals etc. after finishing life among gods; not being required to die again. " मनंता अपुणञ्चवं " उत्त०
कृप्प० ५ १४६
३, १४;
अ. त्रि० (अस्पृष्ट ) स्पर्श न रेल; मेनेपुणबंधग पुं० ( अपुनर्बन्धक ) लुग्यो
या नथी मायुं ते. बिना छुया हुआ. Untouched. " अपुट्ठे उद्दाइत्ति " भग० २, १, “पुटुं भासते " भग० ८ ८ १, ६; ५, ४; १७, ४;–धम्म पुं० (-धर्मन्) જેને ધર્મ બળહીન છે તે; જેણે ધર્મ કશ્યા
'पुबंधय शह देखो ' अपुणवंधय शब्द. Vide अपूणबंधय ' पंचा० २,
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४४;
पुणबंधय पुं० (अपुनर्बन्धक-न पुनरपि बन्धो मोहनीयकर्मोत्कृष्टस्थितिनिबन्धनं यस्य स
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