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अनिरुद्ध ]
(२८१)
[ अनिहत
न मानार; निया विनाना; बाकी सनी past Chovisi ( cycle of time ). सामना विनानी. भावी फल की कामना नहीं | प्रव० २६१ करने वाला; निदान रहित. Free from | अनिला. स्त्री. ( अनिला ) मेवीशमा तीर्थ५२desire of the fruits of actions. મુનિસુવ્રતસ્વામીની પ્રથમ સાધ્વીનું નામ. "अनियाणे अकोउहले जे स भिक्खू" दस० । २१ वें तीर्थंकर-मुनिसुव्रतस्वामी की प्रथम १०, १, १३; भत्त० ३०;
साध्वी का नाम. Name of the first अनिरुद्ध. पुं० (अनिरुद्ध ) अधुनमारनी female ascetic disciple of Muni
વૈદર્ભી રાણીને પુત્ર, કે જે તેમનાથપ્રભુની ! Suvrata Svāmi, the 21st પાસે દીક્ષા લઈ, બાર અંગને અભ્યાસ કરી, | Tirthankara. प्रव० ३१०; से १२सनी Heral , शत्रुकन्य पर्वत अनिव्वाण. न० (अनिर्वाण) मतृप्तिमसंतोष. ७५२ मे भासने संथारे श सि यया. अतृप्ति,असन्तोष. Absence of contentप्रद्युम्नकुमार का वैदी रानी से उत्पन्न पुत्र, जो ment. " अयसो य भनिग्वाणं, सयपं च नेमनाथप्रभु के पास से दीक्षा लेकर, बारह असाहुया" दस० ५, २, ३२, ३८ अंगों का अभ्यास कर और सोलह वर्ष तक अनिव्वुड. त्रि. (अनिवृत) ५३याशिल प्रव्रज्या का पालन कर शश्रृंजय पर्वत पर | था परियत-मयित ये नाम सन्मित्त. एक मास का संथारा कर सिद्ध हुभा. The अग्नि आदि से जो चित नहीं हुआ हो वहा son of Vaidarbhí the queen of सचित. Not made lifeless by fire Pradyumnakumāra who took ete; having life."उछुखंडे अनिव्वुरे" Dikşā from, Nemanātha,studied दम०३, ७; twelve Angas, observed ascetic अनिसह. त्रि. (अनिसृष्ट) जुमे। "अणिस?" ism for sixteen years and obtain श६. देखो “ अणिसट्ट" शब्द. Vide od salvation after a months' | ___ "प्रणिसट्ट." पंचा. १३, fasting on the Satrunjaya, अनिस्सि . त्रि. (अनिश्रित ) निश्राmountain, ( २ ) संतसूत्रना योया બીજાની મદદ મેળવવાની ઇચ્છા વિનાને. मना मा अध्ययनद्नाम. अंतगड सूत्र के दूसरे की सहायता प्राप्त करने की इच्छा रहित. चौथे वर्ग का ८ वाँ अध्याय. name of the Self-reliant. दस० १, ५; सम० ३१; eighth chapter of the fourth दसा. ४, ४१; ५२;-वयण. त्रि० section of Antagada Sūtra. (-वचन ) रामदेपनी निश्रा खितना चयन परह. १, ४, अंत. ४, ८3;
हेय ते. रागद्वेष से रहित वचन कहने वाला. अनिल. पुं० (अनिल ) पवन; वायु. वायु; हवा. (one) whose speech is free from
Wind. भग० ५, १; ७, ६; दस० १०,१, | passion or hatred. प्रव० ५५१%; ३; क. गं. ४, १३; (२) लरतक्षेत्रना / अनिहत. त्रि० (अनिहत) निरुपम 24योपासीन। सत्तरमा तार्थ२र्नु नाम. भरत યુષ્યવાળો જેનું આયુષ્ય ગુટે નહિ-કોઈથી क्षेत्र की गत चौवीसी के १७ वें तीर्थकर का पाय नल मेवा. अखंड भायु वाला; जिसकी नाम. name of the 17th Tirthan- श्रायु किसीसे भंग न हो वह Indestructkara of Bharatakse tra in the ible. सम० ५० २३५;
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