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________________ अतीरंगम ] (२४३) [ अत्त in the past tense; e. g. did etc. | अतुल. त्रि. (अतुल ) नी तुलना न ४२] पाया. २, ४, १, १३२; शा५ सयुमतुल्य; असाधा२९, अनुपम; प्रतीरंगम. त्रि. ( अतीरजम) ती२- or- जिसकी तुलना न की जा सके वह. Incom २ असमर्थ; संसारने नलि पलायना२. / parable; extraordinary. सम० ३०; संसार के तीर पर-किनारे पर पहुंचने में | पराह० १,१; असमर्थ. Unable to reach the अतो. अ० (अतस्) मेथी; अहिंथा; अनाथा. opposite shore, e.g. of worldly इससे; यहांसे. Hence; from the existence. आया० १, २, ३, ८०; place; therefore. " अतोपरं तुम अतीव. अ. (अतीव) मति; ; अतिशय. जाणासि" नाया. १६; दसा० २,८; ६, १; अत्त. त्रि. (श्रान-श्रा-अभिविधिना प्रायते बहुत; ज्यादह; अतिशय. Excessively. भग० २,१; नाया० ११; । दुःखात् संरक्षति सुखं चोत्पादयतीत्यानः ) अतुच्छ. त्रि० ( अतुच्छ) तु-७ नहि ते; S२; दु:५ ७२ना२; सुप आपना२. दुःख हरने वाला; सुखप्रद. (One ) removing श्रे४; प्रधान. जो तुच्छ न हो वह; उदार; श्रेष्टः मख्य. Not mean or insignifi inisery and giving happiness. “णेरहाणं भंते ! किं अत्ता पोग्गला अणता cant; high. पंचा० ७,२४;--भाव. पुं. पोग्गला? वा" भग० १४, १; (-भाव) या भाव; प्रधान-श्रे४ मार; Sal२ता. ऊंचा भाव; श्रेष्ठ भाव; उदारता. high अत्त. पुं० (श्राप्त-प्राप्तिर्हि रागद्वेषमोहानामै कान्तिक श्रात्यन्तिकश्च क्षयः सा यस्यास्ति or liberal feeling; nobility; स प्राप्तः ) यथार्थी ; रागपाहि सर्व excellence. पंचा० ७, २४; દેવરહિત, નિર્દોઆગમના પ્રણેતા; अतुहि. स्त्री० ( अतुष्टि ) असंत५; अभि. वीतराग. यथार्थदशी; रागद्वेषादि सब असन्तोष; तृप्ति का न होना. Dissatisfac- दोषों से रहित; निर्दोषागम का प्रणेता; tion; discontent. " अतुट्ठिदोसेण वीतराग. One absolutely free दुही परस्स, लोभाविले प्राययई अदत्तं " from love, hatred etc.; one with उत्त० ३२, २६; perfect vision of truth; an अतुरिय. त्रि. ( त्वरित ) ताणु नहि. author of faultless scriptures; धीमुं. जो जल्दी वाला न हो वह; ठंडा; धीरे । one devoid of passions. सूय० १, धीरे काम करने वाला. Slow; not fast. ६, ३३;-पन्नेसि. त्रि. (-प्रशान्वेषिन्" उड्ढे थिरं अतुरियं, पुव्वं चेव " प्राप्तो रागादिविप्रमुक्तस्तस्य प्रज्ञा केवल उत्त० २६, २४; नाया० १; भग० २, ज्ञानाख्या तामन्वेष्टुं शीलं येषां ते तथा ) ५, ७, १०; कप्प. १, ५-भासि . त्रि. સર્વજ્ઞની ઉક્તિનું અન્વેષણ કરનાર. (-भाषिन् ) शांतिथी मोसनार; तथा सर्वज्ञ की उक्तियों की खोज करने वाला. नहि सोलना२. शांति से बोलने वाला; बोलने (one ) who searches into (i. में शीघ्रता न करने वाला. speaking e. reflects upon ) the words or without haste. “श्रतुरियभासि विवेग | sayings of the omniscients. "वीरा भासि समियाए" आया. २, ४, १, १४०; | जे अत्तपन्नेसी" सूय० १, ६,३३;-मुक्ख. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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