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________________ अणंतर ] (१४६) [ अणंतरहिम-य. sthāna. परह. २, ५;-उववरणग. | विना-युगपत-मे सभये नाणेस. युगपत्पुं० (-उपपञ्चक-न विद्यतेऽन्तरं समयादि एकसाथ निकले हुए. started simulव्यवधानमुपपने उपपाते येषां ते अनन्तरो- taneously. भग० १४,१;-पच्छाकड. पपत्रकाः) प्रथम समयमा उत्पन्न येत त्रि. (-पश्चात्कृत-मनन्तरः अव्यवधानेन यः જીવ; જેને ઉપજ એક સમય થયો છે તે. पश्चात्कृतः सः) वर्तमाननीन्ना मागला प्रथम समय मे उत्पन्न जीव; जिसे जन्म लिये | समय; वर्तमानथी पड़ेसानी समय. वर्तमान एक ही समय हुआ हो. a being से मिला हुआ पहिला समय. the imafter whose birth more than mediate past. सू०प०८;-पज्जतग. one Samaya or instant has पुं० (-पर्याप्तक-न विद्यते पर्याप्तस्वेऽन्तरं not passed. भग० १३, १०; येषां तेऽनन्तरा, तेच ते पर्याप्तकाश्चत्यनन्तर १४, १; २६, २, २६, १; ठा० १० पर्याप्तकाः ) पडसा समयनो पान -प्रोगाढ.त्रि० (-भवगाढ)प्रत समय- ५ति यानी प्रथम समय. पहिले मां मा प्रदेशने सराही रहेस. प्रकृत समय के पर्याप्त जीव; पर्याप्त होने का पहिला समय में आकाश प्रदेश को अवगाहन समय. the first Samaya of becom. कर ठहरा हुआ. localised in ing Paryāpta or fully developed space in the time present. in senses etc. ठा. १०; भग० मग० १३,१; ३३, १;~~~ोगाढग. पुं. २६, ८; ३३, ८-पुरक्ख ड. त्रि० (-अवगाढक)प्रत समयमा साथ प्रदेशने (-पुरस्कृत) वर्तमाननी ना पा७। सवगाही २डेल . प्रकृत समय में आकाश समय; मीले समय. वर्तमान समय से लगा प्रदेश को अवगाहनकर ठहरा हा जीव. हुआ दूसरा समय (आगे का समय ). the a living being localised in space immediate future. “भणंतरपुरक्सरे in the time present. ठा०२,२; भग० कालसमयसि " स. प. ८-बंध. पुं. २६, ४-खेत्तोगाढ.त्रि० (-क्षेत्रावगाढ) (-बन्ध) सांत। पिनाना मध. अन्तर रहित પ્રકૃત વસ્તુની છેક પાસેના આકાશ પ્રદેશને बंध. uninterrupted bondage. समासी २९स. प्रकृत वस्तु के बिल्कुल नजदीक भग० २०, ७-सिद्ध. पुं० (-सिद) प्रत के आकाश प्रदेश को रोके हुए. localised સમયમાં સિદ્ધ થયેલ હોય તે પ્રથમ સમયના in space immediately next to सि. प्रकृत समय में जो सिद्ध हुआ हो; प्रथम the thing present. "णो भणंतरखेत्तो- समय का सिद्ध. the Siddha of the गाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारैति" भग. immediate past. ठा० २,१; भग. २५, ६, १०;-गांठेय. त्रि. (-ग्रन्थित ) ४ नदी० २०; पन्न. १; मांत विनामे डनी साथे मी, मीनी अणंतरहि-य. त्रि. (-अनन्तहित) ससाथे त्री0 मेम मुंथेस. बिना अन्तर के यित्त; ७३ सहित सचित्त; सजीव. Living; पास पास लगी हुई गाँठों से गुंथा हुआ. containing life. जे भिक्खुमाउग्गामस्स knotted without intervals; मेहुणवडियाए अणंतरहियाए पुढवीए णिसीclosely interwoven. भग० ५, यावेजा" निसी० ७, १६, १३, १; १४, ३२; ३-णिग्गय. त्रि. (-निर्गत ) मांत १६, २६, दसा० २, १५, १६ सम० २१, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016013
Book TitleArdhamagadhi kosha Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Maharaj
PublisherMotilal Banarasidas
Publication Year1988
Total Pages591
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Gujarati, English
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size15 MB
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