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अपर ]
(१४०)
[अणंग
न मापे ते; ४२०० भial-- मापे ते; transgressed; "अणइवत्तियं सव्वेसि हवाणीया. कर्ज न चुकाने वाला; दिवालिया. | .पाहाणं " आया०१, ६, ५, १६४; a bankrupt; an insolvent. पन | अणइवाएमाण. व० कृ० त्रि. (नतिपातयत्) १; ३;
नहि भारता; ६:५ नलि मापता; प्राणातिअणइ. भ. ( अनति ) अत्यंत नलि; अति- पात नलितो . न मारते हुए; दुःख न देते
मल्ने। अभाव. प्राधिक्य रहित; अत्यन्त हुए. Giving no pain; not killरहित. अतिक्रमण का अभाव. Absence ing. “प्रणवकंखमाया भणइवाएमाणा" of excess. तंडु-वर. त्रि० (-वर-न प्राया० १, ७, ३, २०७; १, ६, ३, विचते प्रतिवरं यस्मात्तदनतिवरम् ) प्रधान; १८७ सर्वोत्तम; श्रे४मा श्रे४. मुख्य; सर्वश्रेष्ठ; अणंग. न. (अना) विषयसेवनना भुण्य सर्वोत्तम. pre-eminent; of highest અંગ શિવાયના અંગ-સ્તન, કુક્ષિ, મુખ, છાતી excellence. ओव०-विलंबियत्त. पोरे. विषयसेवन के मुख्य अंग के सिवाय म० (-विलम्बितत्व ) सत्यवयन ३५ अन्य अंग-स्तन, कुक्षि, मुख, छाती श्रादि. અતિશયમાંને ૨૮ મો અતિશય; વિલંબે Parts of a body other than नल पम प्रवाई मोसते. सत्यवचन the sexual organ e. g. breasts, के ३५ अतिशयों में से २८ वाँ अतिशय; arm-pit, face, chest etc. पंचा० १, रुकते हुए न बोलकर धाराप्रवाह से बोलना. १६; (२) पनावटी लिंग माहि. कृत्रिम the twenty-eighth of the सिंग भादि. an artificial sexual thirty five Atibayas of truthful organ. ठा० ३, २; (३) विषय speech; speaking fuently सेवन ३ तभ माहिनी २७. विषय without a break. राम-संधाण. सेवन की या हस्तक्रिया आदि की इच्छा. न. (-सन्धान) मययन; न छतरपुं ते. desire for sexual intercourse, फपट न करना; वंचन न करना. absence of masturbation ete. प्रव० १.७% deceit. "भियगाणइसंधाणं सासयबुड्ढी य (४) मा२ मंगसूत्रया माध-मिन्न. जयया य" पंचा. ७, १;
बारह अंगसूत्रों से बाह्य--भिन्न. not inअणहकमणिज्ज. त्रि. (अनतिक्रमणीय ) cluded in the twelve Angaજેમાં વ્યભિચાર, અતિવ્યપતિ આદિ દેષ ન Sutras. विशे० ८४४,-कीडा. स्त्री० भावे तेव। वाय. ऐसा उत्तर जिसमें (-क्रीडा) अनेरे अंगे आभयेष्टा व्यभिचार, अतिव्याप्ति आदि दोष न हों. કરવી તે; હસ્તકર્મ, કુચમર્દનાદિ કુચેષ્ટા A reply free from logical કરવી તે; શ્રાવકના ચેથા અણુવ્રતને fallacy. " भणहकमणिजाई वायरवाई" त्रीने अतियार. अनंगक्रीडा करना; हस्त अग. १५, १;
मैथुन करना; कुचमर्दन भादि कुकृत्य; श्रावक अणवत्तिय. सं० ० ० (अनतिपत्य ) के चौथे अणुव्रत का तीसरा अतिचार.
न संधान; अतिपात-हिंसा न शने. न third Atichāra of the fourth उलाँधकर; बिना हिंसा किये. Without | Aņuvrata of Śrāvakas; amorous having killod; without having / dalliance. प्रथ. २७८; १०७६;
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