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________________ मार्गणा विशेष Jain Education International २० प्ररूपणाएं सत् लेश्या पर्याप्त गुण । जीव अपर्याप्त स्थान | समास पर्याप्ति प्राण संज्ञा गति इन्द्रिय काय | योग वेद कषाय ज्ञान संयम दर्शन भव्य | सम्य. संज्ञित्व | आहा. उपयोग P पर्याप्त | वाँ सं.प. पर्याप्ति निः पं. | त्रस मन४, बच. ४ औ.१ । को . मति, श्रुत, देश सं. चक्षु, अचक्षु अवधि अवधि २ २ शुभ भव्य | औ., क्षा, | संज्ञी | आहा. साकार, क्षयो. अना. | अना. ६ पर्याप्त प्रमत्त सं.प.६ पर्याप्ति | मनु. पं. वस मन४, वच. औ.१, आ.२ को. मति, श्रुत, सा.,छे. चक्षु., अचक्षु अवधि, मनः परि. अवधि शुभ भव्य | औ.,क्षा | संझी | आहा. साकार, क्षयो, अना.. __ पयप्ति ७वा सं.प./ पर्याप्ति आ. मनु पं. - त्रस मन४, वच. ४ औ.१ । भव्य को मति, 'श्रुत, सा., छे. चक्षु., अचक्षुभ । अवधि, मनः परि | अवधि औ., क्षा. | संही क्षयो. आहा. साकार, अना. जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश ____ रहित For Private & Personal Use Only २३१ १७/८ पर्याप्त ८ वाँ. | सं. प.] पर्याप्ति आ. मनु | पं. | त्रस मन४, वच.४ औ.१ को. मति., श्रुत, सा..छे, चक्षु..अचक्षु! अवधि, मनः अवधि शुभ भव्य | औ., क्षा. | संज्ञी | आहा./ साकार अना.. रहित १८3/i पर्याप्त हवाँ | सं. प. पर्याप्ति | हो । प्रसमय परि.. । पं. | वस मन, वच.४ औ.१ को.मति., श्रुत, सा., छे. चक्षु., अचच अवधि, मनः अवधि शभ भव्य | औ..क्षा. | संज्ञी | आहा. साकार अना. _ सं.प. पर्याप्ति पर्याप्त हवाँ ही द्वि.समय परि मनु. पं. स मन४, वच. को. मति, श्रुत, सा., हे.. चक्षु., अचक्षु | अवधि,मनः अवधि शुभ भव्य | औ. क्षा. संज्ञी आहा. साकार | अना. २. सत् विषयक प्ररूपणाएँ www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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