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________________ संख्या ३. संख्या विषयक प्ररूपणाएँ । २. जीवोंकी संख्या विषयक ओघ प्ररूपणा १. जीव सामान्यकी अपेक्षा प्रमाण-१ प. वं. ३/१,२/सूत्र/पृष्ठ; २, ३. ३/१,२.६/गा.३८-४०/८७ ३. ध. ३/१,२/पृष्ठ; ४, ५.३/१, २, १२/गा. ४५-४८/६४-६६; ५. गो. जी./म. व टी./६२४-६४२/१०७७-१०६४ । अंका संदृष्टि-पल्य-६५५३६; अन्तर्मुहूर्त - सासादनके योग्य ३२: मिश्रयोग्य १६; असंयत योग्य ४; संयतासंयत योग्य १२८॥ मूल प्ररूपणा विशेष प्ररूपणा सं. गुणस्थान प्रमाण ष,खं.. ३/सू./पृ. संख्या अपेक्षा विशेष विवरण १ | मिथ्यावृष्टि । द्रव्य मध्यम अनंतानंत ( दे. संकेत सूचो) काल क्षेत्र २/१० अनं. ३/२६ ३१२७ अनं, उत अवसे अनपहत ३/२८ ४/३२ अनं.लो तीनोंका ज्ञान पल्य सूत्र २ सासादन असं. द्रव्य, क्षेत्र व काल प्ररूपणाका ज्ञान पत्य - (बिशेष दे, संकेत सूची) स्त्र योग्य अन्तर्मु. ६५५३६+३२-२०४८ (दे. उपरोक्त संकेत) काल अंकसंदृष्टि अंकसंदृष्टि मिश्र पत्य ६५५३६+१६-४०६६ असं " " अविरत संयतासंयत कोटि पृ. गणना ३/४ ३/१० प्रमत्त अप्रमत्त (७८ चारों उप'वेशापेक्षा (विशेष दे. अगला उपशीर्षक) ६५५३६+४-१६३८४ ६५५३६+१२८५१२ [स्वयंभूरमण द्वीप सागरकी अपेक्षा-दे. संख्या/२/६३] ५६३६८२०६ २६६६६१०३ (प्रमत्तसे आधे) उपशम श्रेणीयोग्य लगातार ही समय उत्कृष्ट होते हैं। तहाँ प्रथमादि समयोंमें जघन्यसे उत्कृष्ट पर्यन्त क्रमसे-१-१६:१-२४:१-३०:१-३६:१-४२:१-४८ ब१-५४ जीव प्रवेश करते हैं। २६६ या ३०० या ३०४ (विशेष दे. संख्या /२/१०) १-१४ 3/5o ४ " ३/१२/ गणना उपशामकोंसे दूने (दे. संख्या/२/४+ उपरोक्त उपशामों की प्ररूपणा) उपशामकोंसे दुगुने अर्थात ५६८ या ६०० या ६०८ ( उपरोक्तवत) ० संचयापेक्षया १०/६१ चारों क्षपकप्रवेशापेक्षा (विशेष |११/१२ दे, अगला उपशीर्षक) संचयापेक्षा १२/६३ सयोगीप्रवेशापेक्षा संचयापेक्षा १४/६५ अयोगीप्रवेशापेक्षा | ११/१२) संचयापेक्षा | १२/६३ २. तीर्थकर आदि पुरुष विशेषोंकी अपेक्षा (ध.१/१,८,२४६/३२३/१) १-१०८ ३/६५ उपरोक्त क्षपकवत् ८६८५०२ ल.पृ. . --→ उपरोक्त क्षपकावर --- --→ उपरोक्त क्षपकोंबतू --- नाम युगपत् उपशम. युगपत क्षपकश्रेणी में प्रवेश | श्रेणी में प्रवेश नाम युगपत् उपशम | युगपत् क्षपकश्रेणी में प्रवेश श्रेणी में प्रवेश 0 AM & ० rco-14. तीर्थकर प्रत्येकबुद्ध मोधित बुद्ध उत्कृष्ट अवगाहना मध्यम अवगाहना जघन्य अवगाहना पुरुष वेदोदय सहित स्त्री वेदोदय सहित नपुंसक वेदोदय सहित ४ जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.016011
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2000
Total Pages551
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size16 MB
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