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लोक
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१. लोकस्वरूपका तुलनात्मक अध्ययन
चित्र- ४
सामान्य लोक
सत्यलोक लौकान्तिकदे । अमर गण
१२००,००,००० यो.
१२ करोड योजन ऊपर सत्यलोक है, जहाँ फिरसे न मरनेवाले जीव रहते हैं, इसे ब्रह्मलोक भी कहते है। भूलोक व सूर्यलोकके मध्यमें मुनिजनोंसे सेवित भुवलौक है और सूर्य तथा धुवके बीच में १४ लाख योजन स्वर्लोक कहलाता है। ये तीनों लोक कृतक है । जनलोक, तपलोक व सत्यलोक ये तीन अकृतक हैं। इन दोनो कृतक व अकृतकके मध्य में महर्लोक है। इसलिए यह कृताकृतक है। ( अध्याय ७)।
तपलोक (वैराज देव)
सनक अदि)
८००,००,००० यो
वजनलोक
(ब्रह्मा पुत्र)
२००,00,००० यो
महलोक (भृगु आदि सिद्ध गा
१००,00,000 यो
ध्रुव
1
चित्र-२
जम्बू द्वीप
3
१००,000 यो.
.
अंगी पर्वत
उतरकुरु
wereo० यो.
श्वेत पर्वत
हिरण्यमय
२००,००० मो.
।
२००,००० यो.
नील पर्वत
रम्यक्
BESTHA
२००,००० यो.
पीपल दृश
र
कदन इलावृत
200,000 यो
MONOKA
निषध पर्वत
२७07000 यो
HOSTOP यो
हैमकूट पर्वत
१००,००० सौ.
हिमवान पर्वत
१००,000 यो
कपुरूष
भुव लोक मलोक
भारत
भूलोक) दे-पीछे चित्र -१वर (पाताल) दे-पीछे चिन्न-३
भूलोक के नीचे पाताल लोक भूलोकके नीचे सप्त पाताल है।तथा उनके नीचे शेषशायी भगवान विष्णु विश्राम करते है
महाज्वाल
चित्र ३
TITIT३लवा
/ सुतल
पाताल
पाताल
नरक लोक
अतल
असिपत्रवन वैतरणी
HUWEZOTETAARNSTLER EN YORUMLAREERITA TENTARA ARARAAN PARA CRETALIATURANTIU ARNAUTAKUT
भलाक
भिस्तल
वितल
नितल
शेषशायी
शायी विष्ण भगवान
अदीचि
भा० ३-५५
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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