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४६. सिद्ध चक्र यंत्र ( बृहत् )
४६-सिद्ध चक्र यंत्र (वृहत्)
सिद्वाण पामो ६ मा
जाइरीयाण
णमो
ताण णमोई
आ
ॐदीई अनाहतविद्याय
अर
पामोलोए सव साहूण स्वाहा
जमो
याये
ॐही अहं अनाहतविद्याय
उबझायाणऊन
अ
जमो उवमायाण स्वाहा
वि
अहे अनाहत वि
सम्यग्दर्शनाय //
णमो लोए सब
सम्यकदर्शनाय स्वारा
पफयभम ॐ हो अहं अनाहतविद्यग्य
णमो लोएसब्यसाहूण
जमो अरहताण
ॐ हो अहं अनाहतविद्याय
च छ ज झज णमो आइरयाण स्वाहा
बमा अरहताण
ॐ ही
हामो उवक्षा
याण स्वाहा
सम्व सारण
सम्याज्ञानाय
ॐ
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परस्ताण
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जाप्य अ॥
ऋण सम्यग्वान
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णमो आदरो-/-/
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पाण स्वाहा
सभ्यत्र चरित्रय/
सम्यक ज्ञानाय स्वाहा
यरल व ॐ ही अई अनाहतविद्याय
को अग्रताप
सज
स्वाहा
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णमोअरहताण
क
णमो अरहताण
ओ
सम्यकापसे
दु मन्त्रलब मूलमत्र
अ
ॐ हो अहं अनाहतविद्याय
क ख ग घड णमो सिद्धाण स्वाहा
सम्परजान सस
क्ष ओह सि
णमो अरहताण स्वाहा तूलए ऐ ओ औ अ अ
ऋ अ आ इ ई उ ऊ ॐ ही अहं अनारतविद्याये।
सम्यक चारित्राय स्वाहा
सह ॐही अहं अनाहतविद्याय
तल चारिन्य
सम्यक
पल
स्वाहा
नम
ए
पते
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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