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ऊपर
३४७ ज्योतिष लोक मध्यलोक में ज्योतिषी विमानों का अवस्थान,
संकेत:-आ. = आवर्त यो-योजन नोट:-ऊपर से मध्यळोक को देखने पर, -अचर विमान +
- चर विमान - 1
शनीचर विमान अन्य ग्रह
अन्य ग्रह +
+अचरविमान
+
मगल विमान
1+अन्य ग्रह
अन्य ग्रह +
वृहस्पति विमान
+अन्य ग्रह
अन्य ग्रह +
शुक्र विमान
+अन्य ग्रह
अन्य ग्रह +
यो. ८0 यो ४ यो० ४ यो- ३यो ३ यो०३ यो३यो. यो ८० यो०३ यो०३यो०३यो | ३यो०४ यो.४ योग -९०० योजन
+अन्य ग्रह
बुध विमान
अन्य ग्रह +
नक्षत्र विमान
असे आ- उत्तरोत्तर ३२ अHश
दुनै जान
शिना
।
TH आग उत्तरोत्तर अस आऊ
ने शा०
अस अउरीतर रजा नियम
ने आ
40३२आ. उत्तरोत्तर अस आळा
केतु व उससे
अगुलऊपर सूर्य विमान
दूने
4.1 सितारों के विमान
GE0 यो ७६0 यो० |
दृष्टि । दृष्टि
WWWom
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कालोद
घातकी खण्ड
लवाद
धातकी खण्ड
कालादर
पुष्कलराध
मानुपा
स्वयंभू असख्य पुष्कर रमण: समुद्र समुद्र BF आगेके असंद्वीप समुद्र
--- अढाई द्वीप Lद्वीप समुद्रो के सुमेरु से पश्चिमवर्सी अदभाग +
पुष्कर असंख्य स्वयंभू
B समुद्र समुद्र रमण -----
आगेके असंद्वीप समुद्रम ---द्वीप समुद्रो के सुमेरु से पूर्ववर्तीमद भाग -
दे० ज्योतिष/२/१०
ज्योतिष
दे. ज्योतिष/२/१०
त्रि.सा.
३४३
नाम
किरण वाहक
ज्योतिष विमानोंका भाकार चन्द्र विमान- अश्वाकार
४००० वाहक
मणि १२००० १६०००
मंद
विस्तारसे आधा ।
.००
.
षभाकार ४०००वाही
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(अर्ध गोलाकार--
।
पति
___-विस्तार से आधा→
हर
-अर्ध गोलाकार
TIT
.
मंगल
_२५० ध
शनि
_
नक्षत्र
।
सूर्यवत्
,
नोट-शेष ज्योतिषी विमानोंके आकार भी
इसीके सदृश हैं। विशेषता यह कि उनका विस्तार, किरणें, बाहक प्रमाण व वर्ण अन्य-अन्य है यथा
नोट-सर्वत्र पूर्वादि दिशाओंमें क्रमसे सिंह, हाथी, मैल व अश्वके आकारवाले वाहक देव उक्त
प्रमाणसे चौथाई-चौथाई होते हैं।
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