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________________ गुण एक जीवापेक्षया प्रमाण [ Jain Education International प्रमाण मागणा नाना जीवापेक्षया विशेष उत्कृष्ट | विशेष स्थान नं०/१ नं ०२ | जघन्य ०/१ न०/३) जघन्य विशेष उत्कृष्ट विशेष ४ देवगतिदेव सामान्य भवन वासी १३सागर व्यन्तर २६-३० पल्य ज्योतिषी सौधर्मसे सहस्रार सर्वदा विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव २६-२७१०,००० वर्ष | देवकी जघन्य आयु |३३ सागर देवको उत्कृष्ट आयु २६-३० १३पल्य (ध./१४/३३१) आ./असं सोपक्रम काल । १२मुहूर्त अनुपक्रम काल जघन्य आयु १३पल्य उत्कृष्ट आयु ३२-३३/१३पल्य क्रमशः प्रत्येक युगलमें | २३ सा.- | प्रत्येक युगलमें क्रमश. २३, ७३, १६३सागर १३ पल्य, २३, ७३, १८३ सा. १०३, १४३, १६३ व १८३ १०३,१४३,१६३ सागर सागर ३५-३६१८३२०सा. दो युगलोंमें क्रमश १८३२० सा. २२ सा. दोनों युगलोंमें क्रमशः २० व २२ | व २० सागर , २२-३०सा. प्रत्येक ग्रं वेयकमे क्रममाः | २३ से ३१ सागर | प्रत्येक ग्रेवेयकमें क्रमशः २३,२४, २५ २२,२३, २४, २५, २६, २७, २६, २७,२८, २९, ३०, ३१ सागर २८,२६, ३० सागर आनत-अच्युत सागर नव वेयक For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश १०४ ३१ सागर | प्रत्येक में बराबर ३२ सागर प्रत्येकमें बराबर नव अनुदिश विजय से अपराजित सर्वार्थ सिद्धि ३२ सागर ३३ सागर १३सागर ३३ सागर देव सामान्य सर्वदा विच्छेदाभाव सवदा विच्छेदाभावा८८-८६ उपरिम अवेयकमें जा मिथ्यात्व सहित रहे। मुलोधवत सर्बदा विच्छेदाभाव | अन्तर्मुः | २८/ज ३,४थे से १ ले में गुण स्थान परिवर्तन करे मूलोघवत् न्तर्म० १,३रे से ४थे में जा स्थान | ३३ सागर परिवर्तन करे सर्वदा | विच्छेदाभाव ११-१२ सर्वार्थ सिद्धिमे जा सम्यक्त्व सहित रहे| भवन बासी १ सागर +पल्य/ मिथ्यात्व सहित कुल काल बिताया। अंसख्यात ६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाएं ६७ मूलोधवद मूलोघवत् www.jainelibrary.org
SR No.016009
Book TitleJainendra Siddhanta kosha Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinendra Varni
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year2002
Total Pages648
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationDictionary & Dictionary
File Size24 MB
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