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एक जीवापेक्षया
काल
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मार्गणा
| मार्गणा स्थान प्रमाण
नाना जीवापेक्षया प्रमाण स्थान | नं.१1 नं.२
| जघन्य विशेष
उत्कृष्ट
विशेष
प्रमाण नं.१ नं.३
जघन्य
विशेष
उत्कृष्ट
विशेष
- मूलोधवत्
सर्वदा / विच्छेदाभाव सर्वदा विच्छेदाभाव ५२-५३
पंचेन्द्रिय
सामान्य
सर्वदा | विच्छेदाभाव | सर्वदा विच्छेदाभाव ५८-५६
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
मूलोघवत् सर्वदा विच्छेदाभाव सर्वदा विच्छेदाभाव ६२-६३
मूलोघवत पंचेन्द्रिय सामान्यवर
मूलोघवत् पंचेन्द्रिय सामान्यवत्
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मूलोघवत् ०१.३.५मेंसे ४थेमें आ पुन.लौटे ३ पल्यबद्धायुष्कक्षा.सभ्य भोगभूमि,तिर्य हुआ
उपरोक्तवत् पर २८/ज. की १को.पू.-३अन्तम २८/ज.सम्मूच्छिम पर्याप्त मच्छमेंढक अपेक्षा
आदिकहो अन्त में पर्याप्तिपूर्ण कर
संयतासंय,हो भवके अन्त तक रहा तिथंच सामान्यवत ३ पन्य+को. संज्ञी, असंज्ञी व तीनों वेद इन
पू.+ अन्तर्मुहूर्त स्थानोमेंसे प्रत्येकमें८को०पू० =४८
को०पू०; ल०अप०में अन्तर्मु०,पुन. उपरोक्तवत् ३ वेदोंमे ४७को० पू०
फिर भोगभूमिमें उपजा मूलोघवत् | अन्तर्मु. | तिर्यंच सामान्यवत्
३ पल्य
तिथंच सामान्यवत् मूलोघवत् पंचेन्द्रिय सामान्यवत्
पल्य+४७को. सविशेष पंचेन्द्रिय सामान्यवत मूलाधवत् पंचेन्द्रिय सामान्यवत् पंचेन्द्रिय सामान्यवत्
३पन्य +१५को. सविशेष पंचेन्द्रिय सामान्य वन् पचेन्द्रिय सामान्यवत्
३पल्य-२मास व २८/ज.मिथ्यात्वी भोगभूमिज तिय.मुहूर्त पृथक्त्व में उपजा/२ मास गर्भ में बीते/जन्म
के मुहू. पृथक्त्व पश्चात् वेद. सम्य, पंचेन्द्रिय सामान्य वत् अविवक्षि.पर्या.से आ पुन, लोट अन्तर्मुहूर्त
जघन्यवत्
पंचेन्द्रिय पर्याप्त
१
२-३
पंचेन्द्रिय योनिमति
६२-६३
| सर्वदा विच्छेदाभाव । सर्वदा विच्छेदाभाव ६६-६७ /
पंचे. ल. अप. ३. मनुष्यगतिमनुष्य सामान्य
वंदाविच्छेदाभाव सर्वदा बिच्छेदाभाव
२०-२१
क्षुद्रभव
, पर्याप्त
अन्तमं.
अपर्याप्त की अपेक्षा उपत्य+४०को.प्र कमभूमिजमे भ्रमणकाल ४०को०पू./
फिर भोगभूमिज पर्याप्त होकर इतने कालसे
, +२३को.पू कर्मभूमिजमें भ्रमणकाल २३को पू./ पहले न मरे
फिर भोगभूमिज पर्याप्त होकर इतने कालसे | .. +७को.पू. कर्मभूमिजमे भ्रमणकाल ७ को०पू./ पहले न मरे
फिर भोगभूमिज कदली घातसे मरण कर | अन्तर्महर्त ।
भ्रमण पर्याय परिवर्तन
६. कालानुयोग विषयक प्ररूपणाएँ
मनुष्यणी प.
। मनुष्य ल.अप.
२३-२४
पल्य/ संतान क्रम | असं.
क्षुद्रभव
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