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आयु
आय
सूर्य
नं.५
आयु
७ आयु विषयक प्ररूपणाएं ८. देवगतिमें ज्योतिष देवों सम्बन्धी १. (मू आ ११२२-११२३), २. (त सू.४/४०-४१), ३. (ति.प.७/ [प्रमाण सं. नाम
जघन्य ६१७-६२५): ४. (रा.वा.४/४०-४१/२४६); ५.(हरि-पु.६/
उस्कृष्ट ८-६), ६. (जं.प. १२/६५-६६);७. (त्रि.सा. ४४६)
बुध, मंगल । १/८ पाय | १/२ पल्य शनि
नक्षत्र प्रमाण सं. नाम
जघन्य उत्कृष्ट | तारे
१/४ पक्य 1 प्रमाण नं.५
(२) ज्योतिष देवियोंकी अपेक्षा (१) ज्योतिष देव सामान्यको अपेक्षा
(त्रि. सा, ४४६) । चन्द्र १/८ पत्य १ पक्य+१ लाख वर्ष
सर्व देवियाँ । स्व स्व देवोंसे १ पल्य+१००० वर्ष
आधी १ पक्य+ १०० वर्ष (७) घातायुष्ककी अपेक्षा २.३,४,६,७ | बृहस्पति
१पन्य नं.१
(ध.७/२,२,३०/१२६), (त्रि. सा.५४१) १पल्य-१०० वर्ष
सम्यग्दृष्टि - स्व स्व उत्कृष्ट + १/२ पल्य ३/४ पन्य
मिथ्यादृष्टि -
+पत्य/असं, है. देवगति में वैमानिक देव सामान्य सम्बन्धी प्रमाण -स्वर्ग सामान्यको उत्कृष्ट व जघन्य आय सम्बन्धी-म्र आ.१९६): (त.मू.४/२६-३४): (ति.प.८/४५८-४५६),
(रा. वा. ४/२६-३४/२४६-२४८); (ज प १६/६५३); (त्रि. सा.५३२); प्रत्येक पटल विशेष में आयु सन्मन्धी -(टीका सहित ष ख, ७/२,२/सू. ३३-३८/१२६-१३५) बद्धायुष्ककी अपेक्षा प्रत्येक पटलमें आयु सम्बन्धी-ति. प. ८/४५८-५१२) घातायुष्क सामान्यको अपेक्षा , , , , -(ति. प.८/५४१) घातायुष्क सम्यग्दृष्टि व मिथ्यादृष्टिकी अपेक्षा-(त्रि. सा. ५३३,५४१)
आयु सामान्य नाम
बद्घायुष्ककी अपेक्षा
घातायष्क सामान्य | जघन्य । उत्कृष्ट ।
उत्कृष्ट
उस्कृष्ट (१) सौधर्म ईशान स्वर्ग सम्बन्धी स्वर्ग सामान्य । साधिक १ पन्य । साधिक २ सागर । घातायुष्क (घ४/पृ.४६३/११) सम्यग्दृष्टि १पन्य+१/२पत्य २ सागर+शरसागर मिथ्यावृष्टि १पल्य+ पक्य/अस. २ सागर+पल्य/असं प्रत्येक पटल ११ पक्य १/२ सागर
६६६६६६६६६,६६६,६६२ पन्य विमल १/२ सागर
१,३३३,३३३,३३३,३३३,३३१ " १७/३० १६/३०
२०,०००,०००,०००,०००,०० । १६/३० ,
२१/३० . वीर २१/३० २३/३०
३३३,३३३,३३३,३३३,३३३३ अरुण २३/३० , २५/३०
४००,०००,०००,०००,००० नन्दन २५/३०
२७/३० ! नलिन २७/३०
२६/३०
५३३,३३३,३३३,३३३.३३३ कांचन २६/३०
१-१/३०
६००,०००,०००,०००,००० रुधिर १-१/३० १-३/३० चचु १-३/३० १-१/३० मरुत १-५/३० १-७/३०
८००,०००,०००,०००,००० ऋद्धीश १-७/३० १-६/३० . वैडूर्य १-६/३० १-११/३०,
६३३,३३३,३३३,३३३,३३३ रुचक १-१२/३० १-१३/३०,
१,०००,०००,०००,०००,००० रुचिर १-१३/३० १-१५/३०, १,०६६,६६६६६६,६६६६६६३ , अङ्क १-१५/३०॥ १-१७/३०, स्फटिक १-१७/३०॥ १-१६/३०,
१,२००,०००,०००,०००,००० १६ । तपनीय
|१-१९/३०.. ।१-२२/३०,
क्रम
१७/३०
॥
बागु
Addada 00000
स्व स्व उत्कृष्ट आयुवद
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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