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अल्पबहुत्व
औ. योग्य आहारक वर्गणा
आ.
तै.
"
भाष योग्य भाषा
मन मनो कर्म कार्मण
आ.
वर्गाका नाम
२. पंच वर्गणाओं की अवगाहना की अपेक्षा
( ष. ख. १४/५.६ / सु ७६०-७६६/५६२)
का,
11
उ
(ध. १४/५, ६/३२४)
औ योग्य आहारकका ज विस्र
उ.
17
उ.
11
उ
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आ.
तै
तेजस
भाष
भाषा
मन
मनो
ஈர் कार्मण
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11
11
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तैजस
३. पंच शरीर विवसोपचयों की अपेक्षा
31
औ, योग्य आहारक वर्गणा
जे.
11
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जस
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बोल
(ष. ख. १४/५,६ / ७८५-७८६/४६०)
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ज औ का ज
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ज
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अ
उ
उ.
वैक्रियिक के चारों स्थान
आहारक तेजस
कार्मण
उ.
ज
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अनन्त " अस.
उ.
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४. प्रत्येक वर्गणा में समय प्रवद्ध प्रदेशों की अपेक्षा
उ.
ज.
उ.
ज
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उ.
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उ
ज
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14
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स्वस्थान अपेक्षा - (ष, वं. १४ / ५, ६ / सू. ५४४-५४८/४५३ ) लोक ज औ. का ज पदमें ज विस्र
11
33
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५. शरीर बद्ध विसोपचयों की स्व न परस्थान अपेक्षा
11
ज
उ.
ज.
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प
स्टोक
असं गुणे
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39
39
अनन्तगुणे
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11
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स्तोक
जग मे
अनन्त,
अस.
अनन्त "
अस. अनन्त असं
स्टोक
अस.
अनन्त "
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परस्थान अपेक्षा—(ष.वं. १४/५,६/सु ५४४-५५२/४५५)
पदमें ज विस्र.
उ.
33
11
गुणे
17
17
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31
33
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स्तोक अनन्तगुणे
गुणकार
19
"
17
सिद्ध/अनन्त
"
अनन्त गुणे जीवxअनन्त
X
पश्य अस सर्व जीवx अनन्त
पत्य / अस. सर्व जीव अनन्त
उपरोक्तवत्
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पश्य/अर्स, सर्व जीवx अनन्त पय/अर्स सर्व जीव अनन्त पय अस
X
ज श्र / अस
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सिद्ध / अनन्त
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स
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उ.
ज
उ.
जीव अनन्त सूत्र
वर्गाका नाम
और वै क्रियिक
app
का.
आहारक
तेजस
कार्मण
वस
अग्नि
पृथिवी
अप
चक्षु
श्रोत्र
घ्राण
जिह्वा
स्पर्शन
वायु वनस्पति
उ.
ज
उ.
उ.
ज
उ
73
ज.
11
31
91
31
शरीर प्रदेश
79
3.
94
आहारक
तेजस कार्मण
19
19
11
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औदारिक शरीर वैलिएक
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६. पंच शरीर बद्ध प्रदेशों की अपेक्षा --
१४/५-६/४७-५०१/४२१)
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ज
उ
ज
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12
उ.
ज
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उ
ज.
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उ.
नाम शरीर या मार्गा
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( स. सि. २ / ३८-३१/१०२-१०३) (रा.वा २/३८-३६/४/१४८) गोजी. जो. प्र. २४६/५१०/२)
७. औदारिक शरीर वह प्रदेशों की अपेक्षा
(घ. ख. १४/५,६ / सू. ५७५-५८०/४६६)
कायिक
के
प्रदेश
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११
33
11
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21
11
93
अपबहुत्व
अनन्तगुणे
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८. इन्दिय प्रदेशों की अपेक्षा-(1,1/18/4/88)
11
३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएं
"
11
स्तोक
अस.
अनन्त
५. पंच शरीरोंकी अल्पवत्व प्ररूपणाएँ
१. सूक्ष्मता व स्थूलता की अपेक्षा
(स.सि २ / ३७/१००)
19
स्तोक
अस, गुणे विशेषाधिक
"
अनन्त गुणे
सर्वत स्लोक स. गुणे विशेषाधिक असं गुणे अनन्तगुणे
•
अमर
सर्वत स्थूल तत सूक्ष्म
37
99
गुणकार
जीवxअनन्त
"
:::::::
"
99
ज../अ.
सिद्ध/अनन्त
गुणकार
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