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अल्पबहुत्व
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३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएं
सूत्र
मार्गणा
गुण स्थान
अल्पबहुत्व | कारण व विशेष
__ मार्गणा
अल्पबहुत्व
३६४। अक्षपक अनुपशमक |
७ । सं. गुणे ।सं. मनुष्यमात्र
दुगुने असं गुणे | गुणकार-पत्य/असं.
तिर्यंचोंकी अपेक्षा
ww
स.गणे
गुणकार-आ/असं
३
३ कालकी अपेक्षा उत्सर्पिणी सिद्ध
। स्तोक अवसर्पिणी,
विशेषाधिक अनुत्सपिण्यनवसर्पिणी (विदेहक्षेत्र) । स. गुणे प्रत्युत्पन्ननयापेक्षया
एक समय में सिद्धि होती है।
। अत अल्पबहुत्वका अभाव है। ४. अन्तरकी अपेक्षा
निरन्तर होनेवालों की अपेक्षाआठ शमय अन्तर से
|स्तोक सात " " "
३६६
गुणकार-आ/असं.
अस गुणे अनन्तगुणे
३७०
३७१ उपरोक्तमे सम्यकत्व
मूलोघवत्
..
चार तीन
.
"
। स्तोक
३७२ उपशमकोमें
स्तोक सम्यक्त्व
सं. गुणे ३७३| चारित्र
उप. स्तोककुल जीव ५४ ३७४
क्षप | दुगुणे । १०८ ३ अनाहारककी ओघ व आदेश प्ररूपणा
(ष ख ५/१८/सू ३७५-३८२) ३७५ सयोगी । १३ । स्तोक । समुद्धात गत केवली
(६० जीव) ३७६, अयोगी
१४ | सं गुणे | संचय (५६८ जीव) ३७७ विग्रह गतिवाले २ प/अस/गुणे तिथंचोकी अपेक्षा
४ आ./असं गुणे विग्रह गति प्राप्त ३७६
अनन्तगुणे विग्रह गति प्राप्त ३८० अस यतो में सम्यक्त्व उप । स्तोक द्वितीयोपशम वाले ही
अनाहारक होते है ३८१
क्षा सं गुणे गुणकार-सं, समय ३८२ | वे. अस गुणे
- पल्य/असं ३. प्रकीर्णक प्ररूपणाएँ १ सिद्धोंकी अनेक अपेक्षाओं से अल्पबहुत्व प्ररूपणा
(रा.वा १०/३/१४/६४७/२७)
३७८
मागणा
अल्पबहुत्व
सान्तर होने वालोंकी अपेक्षाछ मास अन्तर से एक समय ,
सं गुणे यव मध्य , अधस्तन यव मध्य अन्तर से उपरिम , ,, | विशेषाधिक
५. गतिकी अपेक्षा प्रत्युत्पन्न नयापेक्षा
सिद्ध गति में ही सिद्धि है अत:
अल्पबहुत्व नहीं है अनन्तर गति अपेक्षा
केवल मनुष्य गतिसे ही सिद्धि है
अत' अल्पबहुत्व नहीं है एकान्तर गति अपेक्षातिर्यग्गति से
स्तोक मनुष्य गति से
सं. गुणा नरक " " देव , ,
६. वेदानुयोगकी अपेक्षा प्रत्युत्पन्न नयापेक्षा
अवेद भावमें ही सिद्धि है अत.
अल्पबहुत्व नहीं है भूत नयापेक्षयानपुसक वेद से
स्तोक खी वेद से
स. गुणे पुरुष वेद से
७. तीर्थकर व सामान्य केवलीकी अपेक्षा तीर्थकर सिद्ध
| स्तोक सामान्य सिद्ध
| सं.गुणे ८ चारित्रकी अपेक्षा प्रत्युत्पन्न नयापेक्षया
निर्विकल्प चारित्रसे सिद्धि होने
से अल्पबहुत्व नहीं है अनन्तर चारित्रापेक्षा
यथारख्यातसे ही होनेसे अम्प
बहुख नही है एकान्तर चारित्रापेक्षापंच चारित्र सिद्ध
स्तोक चार ,
स गुणे (परिहार विशुद्धि रहित)
स्तोक
१.संहरण सिद्ध व जन्मसिद्धकी अपेक्षा सहरण सिद्ध
| स्तोक जन्म सिद्ध
| स गुणे २. क्षेत्रकी अपेक्षा-(केवल संहरण सिद्धोमे) ऊर्ध्व लोक सिद्ध अधोलीक सिद्ध
स गुणे तिर्यग्लोक सा.
तिर्यग्लोक विशेष :समुद्र सा सिद्ध द्वीप सा सिद्ध
स. गुणे लवण समुद्र सिद्ध कालोद,,,
सं गुणे जम्बूद्वीप धातकी पुष्करार्ध
स्तौक
स्तोक
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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